अपडेट : बीएड अभ्यर्थियों को मिल रहा अधिकारी-कर्मचारी और शिक्षक संघों का समर्थन, मांगों को लेकर बैठे अनिश्चितकालीन धरने पर
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- अम्बिकापुर से ‘अनुनय यात्रा’ निकालकर पैदल रायपुर पहुंचे बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक गुरुवार से नवा रायपुर के तूता में धरने पर बैठ गए है। धरना स्थल पर अधिकारी -कर्मचारी संघ, राजपत्रित संघ और शिक्षक संगठन भी पहुंचकर इनका समर्थन कर रहे है। वे सरकार से अभ्यर्थियों के योग्यता के अनुरूप समायोजन की मांग कर रहे है।
सेवा सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलनरत बीएड अभ्यर्थियों के समर्थन में अब अधिकारी -कर्मचारी संघ, राजपत्रित संघ और शिक्षक संगठन भी सामने आने लगे हैं। अपनी मांगों को लेकर गुरुवार से तूता में धरने पर बैठे बीएड अभ्यर्थियों को समर्थन देने अधिकारी कर्मचारी संगठन तथा राजपत्रित आधिकारी संघ के अध्यक्ष कमल वर्मा , शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे भी मौके पर पहुंचे।
दूसरे संगठनो ने किया समर्थन
समर्थन देने पहुंचे छत्तीसगढ़ राजपत्रित तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कमल वर्मा ने कहा कि अगर सरकार आपकी बातों को सही तरीके से कोर्ट में रखती तो यह फैसला अलग ही होता। उन्होंने कहा कि जो नौकरी में लग चुके है उन्हें नहीं निकाला जाना चाहिए। सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि इनकी नौकरी बच जाए।
सरकार से समाधान की उम्मीद
शालेय शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि बीएड धारक शिक्षक आज अपने अधिकार और सेवा सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। यह संघर्ष इस बात का प्रमाण है कि जब योग्यता और मेहनत के साथ अन्याय होता है, तो लोग संगठित होकर न्याय की मांग करते हैं। हम आपके संघर्ष को अपना समर्थन देते हैं और सरकार से समाधान की उम्मीद करते हैं।
हम सिर्फ 3000 बीएड सहायक शिक्षक ही नहीं हैं, बल्कि 3 लाख कर्मचारी और उनके 20 लाख परिवार हैं। यदि सरकार में इच्छा शक्ति हो, तो आपकी सेवा सुरक्षित करना कोई बड़ी बात नहीं है। यदि आवश्यकता पड़ी, तो समस्त फेडरेशन आपके समर्थन में आएगा।
बीएड अभ्यर्थियों की सरकार से अपील
1. बीएड धारक शिक्षकों का समायोजन सुनिश्चित किया जाए।
2. सेवा समाप्ति के अन्यायपूर्ण आदेश पर तुरंत रोक लगाई जाए।
3. सभी शिक्षकों को न्यायपूर्ण अवसर और सम्मान दिया जाए।
गलत नियम की सजा हमें क्यों
धरने में बैठे सहायक शिक्षकों का कहना है कि हमारी नियुक्ति भारत सरकार के राजपत्र और छत्तीसगढ़ सरकार के भर्ती नियम के आधार पर हुई थी। अगर गलत विज्ञापन निकाला जाता है। एनसीटीई के द्वारा गलत नियम बनाया जाता है तो उसकी सजा हमें क्यों दी जा रही है। अगर हमें नौकरी से निकाल दिया जाएगा तो हमारा पूरा परिवार सड़क पर आ जाएगा। हम सबने लगातार जन प्रतिनिधियों से मुलाकात कर अपनी बातों को रखा है लेकिन हमारी बातों को सरकार के द्वारा अब तक नहीं माना गया है। अपनी नौकरी छोड़कर इस नौकरी पर आए थे अब हम उस नौकरी पर फिर से नहीं जा सकते। ( पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें )
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