Chandrayaan-3 रोवर ने भेजा संदेश : चाँद पर ऑक्सीजन,टाइटेनियम सहित इन धातुओ की हुई पुष्टि ,जानिए किस यंत्र से हुआ यह संभव

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- चंद्रयान-3 रोवर पर लगे लेजर-इंडकटेड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी ( LIBS ) उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह की मौलिक संरचना पर पहली बार इन-सीटू का मापन  किया है। ये इन-सीटू माप स्पष्ट रूप से क्षेत्र में सल्फर (एस) की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं।

LIBS
एलआईबीएस उपकरण

एलआईबीएस ( LIBS ) एक वैज्ञानिक तकनीक है जो सामग्रियों को तीव्र लेजर पल्स के संपर्क में लाकर उनकी संरचना का विश्लेषण करती है। एक उच्च-ऊर्जा लेजर पल्स किसी सामग्री की सतह पर केंद्रित होती है, जैसे चट्टान या मिट्टी। लेजर पल्स एक अत्यंत गर्म प्लाज्मा उत्पन्न करता है। एकत्रित प्लाज्मा प्रकाश को चार्ज युग्मित उपकरणों जैसे डिटेक्टरों द्वारा वर्णक्रमीय रूप से विघटित कर पता लगाता है। चूंकि प्रत्येक तत्व प्लाज्मा अवस्था में होने पर प्रकाश की तरंग दैर्ध्य का एक विशिष्ट सेट उत्सर्जित करता है, जिससे सामग्री की मौलिक संरचना निर्धारित की जाती है।

BY ISRO

ऑक्सीजन सहित इन धातुओ की हुई पुष्टि

इस ग्राफ मे दर्शाए गए विश्लेषणों ने चंद्रमा की सतह पर एल्युमीनियम (Al), सल्फर (S), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), और टाइटेनियम (Ti) की उपस्थिति का खुलासा किया है। आगे के मापों से मैंगनीज (एमएन), सिलिकॉन (सी), और ऑक्सीजन (ओ) की उपस्थिति का पता चला है। हाइड्रोजन की मौजूदगी के संबंध में गहन जांच चल रही है।

एलआईबीएस पेलोड को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम (एलईओएस)/इसरो, बेंगलुरु की प्रयोगशाला में विकसित किया गया है।27 अगस्त, 2023 को, रोवर को अपने स्थान से 3 मीटर आगे स्थित 4 मीटर व्यास वाला गड्ढा मिला। रोवर को उस रास्ते से  वापस लौटने का आदेश दिया गया।  अब रोवर सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

BY ISRO

प्रज्ञान रोवर ने आज सुबह विक्रम लैंडर की एक तस्वीर क्लिक की। मिशन का चित्र रोवर (NavCam) पर लगे नेविगेशन कैमरे द्वारा ली गई थी।चंद्रयान-3 मिशन के लिए NavCams इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला (LEOS) द्वारा विकसित किए गए हैं।

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