त्रिवेणी संगम तट पर गूंज रहा जयघोष : राम कथा में उमड़ी आस्था, पंचम दिवस पर सीताराम विवाह का पावन वर्णन

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– सालासर सुन्दरकाण्ड हनुमान चालीसा जनकल्याण समिति द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के पंचम दिवस में भक्ति, आस्था और आध्यात्मिक उल्लास का अद्भुत समागम देखने को मिला। अयोध्या धाम से पधारे पूज्य प्रशांत जी महाराज के मुखारविंद से धनुष भंग, सीताराम विवाह, अहिल्या उद्धार व लक्ष्मण–परशुराम संवाद जैसे अमर प्रसंगों का दिव्य वर्णन सुनकर पूरा पंडाल भावविभोर हो उठा। कथा के दौरान बार-बार गूंजते “जय श्रीराम” और “सीताराम जय-जय राम” के जयघोष माहौल को भक्तिमय कर रहे थे।
महाराज जी ने बताया कि अयोध्या में मुनि विश्वामित्र के प्रस्थान के साथ प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण ने ताड़का वध कर यज्ञ की रक्षा की। सुबाहू का अंत और मारीच का पराभव कर उन्होंने धर्म-संरक्षण का संदेश दिया। तत्पश्चात जनकपुरी की यात्रा प्रारम्भ हुई, जहां पुष्प वाटिका में माता जानकी और प्रभु राम के प्रथम दर्शन व मिलन का प्रसंग श्रोताओं के हृदय को छू गया।
अहिल्या उद्धार का प्रसंग सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि भगवान की शरण में आने वाले किसी भी जीव को भगवान निराश नहीं करते। अपने चरण-स्पर्श से माता अहिल्या को उद्धार प्रदान कर भगवान ने अपने करुणामय स्वभाव और दया का प्रमाण दिया। इसी श्रृंखला में जनकपुरी आगमन, स्वागत-आदर, नगर की सुसंस्कृत छवि, गुरुदेव का संरक्षण और विवाह योग्य राजकुमार की प्रतिष्ठा जैसे प्रसंगों का मनोहारी चित्रण सभा को आध्यात्मिक रस से भर गया।
भगवान श्रीराम द्वारा शिव धनुष का भंग एवं सीताराम विवाह

मुख्य प्रसंग में महाराज ने बताया कि जब महाराज जनक के राजसभा में शिव धनुष की प्रतिष्ठा के लिए रघुवंशी राम को आगे बढ़ाया गया, तब पूरे सभा-भवन में उत्सुकता का वातावरण था। भगवान श्रीराम ने गुरु की आज्ञा और पितृवंश की मर्यादा का सम्मान करते हुए शिव धनुष को उठाया और क्षणभर में भंग कर दिया। इसी क्षण माता सीता ने प्रभु श्रीराम के गले में जयमाला डाल दी। प्रभु ने भी माता सीता को वरमाला अर्पित कर विवाह संस्कार पूर्ण किया। कथा पंडाल में बैठे श्रद्धालुओं के साथ-साथ जैसे भगवान का प्रणय प्रसंग साक्षात् सामने घटित हो रहा हो, वैसा भाव समा गया।
लक्ष्मण–परशुराम संवाद ने बढ़ाया रोमांच
धनुष भंग के उपरांत लक्ष्मण–परशुराम संवाद का प्रखर व वीर प्रसंग भी सभा में उत्साह का कारण बना। महाराज ने कहा कि यह प्रसंग सिर्फ शौर्य का प्रदर्शन नहीं बल्कि धर्म-अनुशासन, वंश-गौरव और मर्यादा के पालन का प्रतीक है।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, मुख्य यजमानों ने की पूजा-अर्चना

कथा में दुर्ग, आरंग, रायपुर, गरियाबंद सहित विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। पंचम दिवस के मुख्य यजमान रविकांत सेठ (एडवोकेट) एवं श्रीमती राखी सेठ परिवार रहे, जिन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना कर कथा के सफल संचालन की मंगलकामना की। समिति के संस्थापक राजू काबरा ने बताया कि प्रतिदिन श्रोताओं की संख्या में वृद्धि हो रही है और आने वाले दिनों में कथा और भी भव्य रूप लेगी।
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