गरियाबंद ब्रेकिंग: दो महिला सहित चार हार्डकोर इनामी नक्सलियों ने आटोमेटिक हथियार के साथ किया आत्मसमर्पण, जानिए इनकी पूरी हिस्ट्री
आटोमेटिक हथियार के साथ गरियाबंद पुलिस, 65 बटालियन, सीआरपीएफ 211 बटालियन, सीआरपीएफ तथा 207 कोबरा के समक्ष आत्मसमर्पण।

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– गरियाबंद जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है जहां 19 लाख रूपये के कुल 04 हार्ड कोर माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण के साथ इन नक्सलियों ने ऑटोमेटिक राइफल भी समर्पित किया है। ये सभी नक्सली लंबे समय से संगठन में सक्रिय थे और कई बड़ी नक्सली वारदातों में शामिल रहे हैं। इनमें से कई पर इनाम भी घोषित था। आत्मसमर्पण करते हुए उन्होंने कहा कि अब वे शांति और विकास की राह पर चलना चाहते हैं।
आईजी अमरेश मिश्रा ने बताया कि चारों नक्सलियों को सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। वहीं आईजी अंकित गर्ग ने इसे नक्सल संगठन के लिए बड़ा झटका बताया और कहा कि आगे भी यह अभियान और तेज़ी से जारी रहेगा। यह आत्मसमर्पण गरियाबंद पुलिस एवं सुरक्षा बलों के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
जिला गरियाबंद पुलिस लाइन में आज नक्सल ऑपरेशन आईजी अंकित गर्ग, रायपुर रेंज आईजी अमरेश मिश्रा, गरियाबंद पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा एवं पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों और 65 बटालियन, सीआरपीएफ 211 बटालियन, सीआरपीएफ तथा 207 कोबरा की मौजूदगी में नक्सल संगठन के बड़े कैडर का आत्मसमर्पण हुआ। पुलिस के बढ़ते दबाव और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर दो महिला नक्सली अनीता व सुजाता तथा दो पुरुष नक्सली दीपक व कैलाश ने अपने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
आत्मसमर्पित माओवादियों का विवरण निम्नानुसार है-
(01 *दीपक उर्फ भीमा मंडावी –
1. ग्राम इतन पंचायत-पालेसरमा थाना किस्टाराम जिला सुकमा का निवासी है।
2. वर्ष 2008 में लगभग 14-15 वर्ष की आयु में माओवादियों ने चेतना नाट्य मंडली में शामिल किया।
3. वर्ष 2010 में किस्टाराम एरिया कमेटी कमांडर- सावित्री द्वारा इसे माओवादी संगठन में पार्टी सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
4. एक वर्ष तक बस्तर में कार्य करने के बाद जुलाई 2011 को इंद्रावती से माड होते हुये जिला गरियाबंद क्षेत्र में कार्य करने के लिये भेजा गया। गरियाबंद पहुंचने उपरांत इसे गोबरा एलजीएस में सदस्य रूप में शामिल किया गया।
5. कई वर्षो तक एलजीएस में कार्य करने बाद 2018 को एसीएम एवं एलजीएस का कमांडर बनाया गया। अप्रैल 2025 में इसके काम से प्रभावित होकर इसे डीव्हीसीएम बनाया गया।
6. उक्त माओवादी डीजीएन डिवीजन में सक्रिय रहने के दौरान वर्ष 2011 को ग्राम झोलाराव मुठभेड जिसमें 03 माओवादी मारे गये, ग्राम कट्टीगांव मुठभेड जिला धमतरी जिसमें 01 माओवादी मारी गई, वर्ष 2025 को ग्राम काण्डसर मुठभेड जिसमें 01 माओवादी मारा गया तथा ग्राम बेसराझर मुठभेउ जिसमें 16 नक्सलियों के मारे जाने की प्रमुख घटनाओं सहित जिला गरियाबंद एवं धमतरी में माओवादियों द्वारा घटित लगभग 25-27 घटनाओ में शामिल रहा।
(02) कैलाष उर्फ भीमा भोगम –
1. ग्राम सीमिलपेंटा थाना जगरगुण्डा जिला सुकमा का निवासी है।
2. 2009 में 10 साल की उम्र में बाल संगठन एवं वर्ष 2010 से 2013 तक सीएनएम के सदस्य के रूप कार्य किया।
3. वर्ष 2013 को जगरगुण्डा एरिया कमेटी के शंकर द्वारा इसे संगठन में सदस्य के रूप में भर्ती कराया गया।
4. दिसम्बर 2014 को बडे कैडरो के कहने पर इसे सीसी- मनोज के प्रोटेक्षन टीम में शामिल कर दिया गया।
5. वर्ष 2015 से मई 2019 तक सीसी- प्रोटेक्शन टीम का सदस्य रहा।
6. मई 2019 से जुलाई 2020 तक सीसी-प्रोटेक्शन टीम में एसीएम रहा।
7. जून 2020 से सितम्बर 2024 तक प्रोटेक्शन टीम- डिप्टी कमाण्डर रहा।
8. सितम्बर 2024 से जून 2025 तक प्रोटेक्शन टीम- कमाण्डर के तौर पर कार्य किया।
9. दिसम्बर 2023 से गरियाबंद में सक्रिय रहने के दौरान नवंबर/2024 को ग्राम अमाड थाना जुगाड के पास मुठभेड एवं मई/2025 को ग्राम मोतीपानी थाना शोभा के मुठभेड जिसमें 01 माओवादी मारा गया जैसे प्रमुख घटना सहित जिला कंधमाल, नुआपाडा (ओडसा) तथा बस्तर के कई माओवादी घटनाओं में शामिल रहा।
(03) रनिता उर्फ पायकी –
1. ग्राम तिमेनार, थाना मिरतुर, जिला बीजापुर की निवासी है।
2. गांव में बाल संगठन एवं चेतना नाट्य मंच में कार्य कर रही थी।
3. वर्ष 2016 में इसे 13 नंबर पीएल कमाण्डर- अषोक द्वारा माओवादी संगठन में पार्टी सदस्य के रूप में भर्ती कराया गया।
4. फरवरी/2017 को सीसी-मनोज द्वारा इसे अपने प्रोटेक्शन टीम में शामिल कर लिया गया।
5. मई/2017 को गरियाबंद से होते हुये ओडिसा के जिला कालाहाण्डी, नियमगिरी क्षेत्र चले गये।
6. दिसम्बर 2023 से गरियाबंद में सक्रिय रहने के दौरान नवंबर/2024 को ग्राम अमाड थाना जुगाड के पास मुठभेड एवं मई/2025 को ग्राम मोतीपानी थाना शोभा के मुठभेड जिसमें 01 माओवादी मारा गया जैसे प्रमुख घटना सहित जिला कंधमाल, नुआपाडा (ओडसा) तथा बस्तर के कई माओवादी घटनाओं में शामिल रही। वर्ष 2025 में ही एसीएम पद में इसे पदोन्नत किया गया था।
(04) सुजीता उर्फ उर्रे कारम –
1. ग्राम पेद्दागेलूर थाना तर्रेम, जिला बीजापुर की निवासी है।
2. जुलाई/2023 को इसे बासागुडा एलओएस कमाण्डर-कमला द्वारा नक्सल संगठन में भर्ती कराया गया। एक सप्ताह बाद इसे प्रषिक्षण के लिये पामेड एरिया कमेटी कमाण्डर- संदेष के पास भेजा गया।
3. प्रषिक्षण के बाद 2023 में एसजेडसी- विकास द्वारा इसे सीसी-मोदेम बालाकृष्णन के प्रोटेक्षन टीम में शामिल कर दिया गया।
4. दिसम्बर 2023 से गरियाबंद में सक्रिय रहने के दौरान नवंबर/2024 को ग्राम अमाड थाना जुगाड के पास मुठभेड एवं मई/2025 को ग्राम मोतीपानी थाना शोभा के मुठभेड जिसमें 01 माओवादी मारा गया जैसे प्रमुख घटना में शामिल रही।
माओवादियों द्वारा छोटे कैडरों का हो रहा शोषण
इन माओवादियों ने बताया कि आज माओवादी निर्दोष ग्रामीणों की पुलिस मुखबीरी के शक में जबरन हत्या, लोगों को बेवजह राशन-सामानों के लिए परेशान करना, शासन के विकास कार्यो को नुकसान पहुचाना या पूरा नहीं होने देना, बस्तर के छोटे-छोटे युवक-युवतियों को बहला-फुसला या उनके परिवार वालो को डरा धमका कर माओवादी संगठन में शामिल करना, बडे माओवादियों द्वारा छोटे कैडरों का शोषण करना, स्थानीय लोगो को शासन के विरूद्व आंदोलन के लिए उकसाना एवं निर्माण कार्यो से जुडे ठेकेदारो से अवैध वसूली करने के लिए माओवादी संगठन को अड्डा बना लिये है। इन्ही सब स्थितियों को देखते हुये तथा हमारे साथियों द्वारा लगातार आत्मसमर्पण किया जा रहा है।
शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित
उन्होंने बताया कि शासन की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति के समक्ष समर्पण करने पर पद अनुरूप ईनाम राशि की सुविधा, हथियार के साथ समर्पण करने पर ईनाम राशि की सुविधा, बिमार होने पर स्वास्थ्य सुविधा, आवास की सुविधा, रोजगार की सुविधा को देखते हुये हमारे कई माओवादी साथी (टिकेश, प्रमीला, दिलीप, मंजुला, सुनीता जैसे कई साथी) आत्मसमर्पण कर शासन के इन्ही योजनाओं का लाभ उठा रहे है, जिसके बारे में हम लोगो को समाचार पत्रो व स्थानीय ग्रामीणों के माध्यम से जानकारी मिलता था।
गरियाबंद पुलिस द्वारा जंगल-गांवों में प्रचारित समर्पण नीति के पोस्टर-पाम्पलेट भी मिलते थे, जिससे हम लोगों के मन विचार आया कि हम लोग क्यों जंगल में पशुओं की तरह दर-दर भटक रहे है और इन बडे माओवादी कैडरो की गुलामी कर रहे है। माओवादियों की खोखली हो चुकी विचारधारा, जंगल की परेशानियां, शासन की पुनर्वास नीति तथा आत्मसमर्पित साथियों के खुशहाल जीवन से प्रभावित होकर हम लोग भी अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिताने के लिए आत्मसर्मपण के मार्ग को अपनाया है।
वहीं आज सुबह नक्सलियों के गुप्त ठिकाने पर पुलिस ने छापामार कार्रवाई की जिसमें नक्सली तो भाग खड़े हुए किंतु उनका खजाना पुलिस के हाथ लगा है क्रमश: ………..
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