महज 200 रु जान की कीमत : नवापारा में प्रतिबंधित समय में भारी वाहनों को मिली खुली छूट, क्या कहते है जिम्मेदार

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– नगर पालिका परिषद गोबरा नवापारा एक बार फिर गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। एक ओर सफाई शुल्क के नाम पर रेत गाड़ियों से रसीद काटकर वसूली की जा रही है, तो दूसरी ओर महज 200 रुपए प्रति वाहन लेकर भारी वाहनों को नगर के बीच से गुजरने की खुली छूट दी जा रही है। यह पूरा मामला न सिर्फ नियमों की खुली अवहेलना है, बल्कि नगरवासियों की सुरक्षा से सीधा खिलवाड़ भी है।

जानकारी के अनुसार धमतरी जिले के मगरलोड क्षेत्र से रेत लेकर आने वाले भारी वाहन रात के समय सोमवारी बाजार पुल (नवापारा छोर) से नगर में प्रवेश कर गंज रोड और बस स्टैंड होते हुए रायपुर की ओर रवाना हो रहे हैं। इसी दौरान नगर पालिका का अमला प्रति रेत वाहन 200 रुपए की दर से शुल्क वसूल रहा है। बड़ा सवाल यह है कि यह वसूली किस कानून, किस अधिसूचना और किस शासन आदेश के तहत की जा रही है?

जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा ?

गौरतलब है कि पूर्व में इन्हीं भारी वाहनों की तेज रफ्तार और लापरवाही के चलते कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। हर हादसे के बाद जनता का गुस्सा फूटा, आंदोलन हुए और प्रतिबंध लगाए गए, लेकिन समय बीतते ही सब कुछ फिर ढीला पड़ गया। अब हालात यह हैं कि 200 रुपए लेकर प्रतिबंधित समय में भी प्रवेश की अनुमति दी जा रही है, मानो लोगों की जान की कीमत तय कर दी गई हो। यदि फिर कोई जनहानि होती है, तो इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा – पालिका, प्रशासन या वसूली करने वाला?

पुराना प्रतिबंध कागजों तक सीमित

प्रशासन और नागरिकों के बीच हुए पुराने समझौते के तहत सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक भारी वाहनों के नगर में प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। गंज रोड और बस स्टैंड जैसे व्यस्त मार्गों पर बैंक, स्कूल, कृषि उपज मंडी, मंदिर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान स्थित हैं, जहां दिनभर बच्चों, किसानों और आम नागरिकों की भारी आवाजाही रहती है। इसी खतरे को देखते हुए यह प्रतिबंध लगाया गया था, जो अब कागजों तक सिमटता नजर आ रहा है। 

पीआईसी का निर्णय या कानून से ऊपर आदेश?

नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी लवकेश पैकरा का कहना है कि यह व्यवस्था पीआईसी (प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल) की बैठक के निर्णय के तहत की गई है। साथ ही उनका तर्क है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक स्वच्छता शुल्क इसलिए लिया जा रहा है, क्योंकि वाहनों से सड़क पर रेत गिरती है जिसकी सफाई पालिका करती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पीआईसी को बिना शासन की स्वीकृति नया शुल्क लगाने और प्रतिबंध तोड़ने का अधिकार है ?

पुराना विवाद, नई शुरुआत

गौरतलब है कि पूर्व सीएमओ प्रदीप मिश्रा के कार्यकाल में भी इसी तरह की वसूली शुरू की गई थी, जिसे समाचार प्रकाशन के बाद बंद करना पड़ा था। अब उसी विवादित व्यवस्था का दोबारा शुरू होना प्रशासनिक जिद और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।

एसडीएम बोले- जांच कर होगी कार्रवाई

मामले में अभनपुर एसडीएम रवि सिंह ने कहा है कि किन नियमों के तहत रसीद काटी जा रही है, इसकी जांच कर न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी।

अब सबसे बड़ा सवाल यही हैक्या नगर की सुरक्षा से बड़ा 200 रुपए का शुल्क है, या फिर किसी बड़े हादसे के बाद ही जवाबदेही तय होगी ?

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