तर्री में दो जीवित बरगद पेड़ की अवैध कटाई, सरपंच पति और सचिव पर मनमानी का आरोप, ग्रामीणों ने की थाने में शिकायत
ग्रामीणों ने इस घटना पर गहरा आक्रोश जताते हुए कहा कि यदि दोषियों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में इसके लिए आंदोलन भी किया जाएगा।

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– नवापारा नगर से लगे ग्राम पंचायत तर्री में दो जीवित बरगद के पेड़ को कटवाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि पेड़ को काटकर ट्रैक्टर से ले जाया जा रहा था। ग्रामीणों द्वारा पकड़ने पर सरपंच पति द्वारा ट्रैक्टर को भगा दिया गया। जिससे उनके ऊपर मिली भगत का आरोप ग्रामीणों द्वारा लगाया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत के शीतला मंदिर के पास सड़क किनारे स्थित दो जीवित बरगद के पेड़ को कटवा दिया गया है। जिसके बाद लकड़ी को ट्रैक्टर क्रमांक सीजी 04 एलपी 7120 से ले जाया जा रहा था। जब ग्राम पंचायत के पंचों ने इस अवैध कार्यवाही का विरोध किया तो काटे गए पेड़ से लदी हुई गाड़ी को सरपंच पति लखन लाल सिन्हा द्वारा मौके से भगा दिया गया और सरपंच का बचाव किया गया।
ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया कि ग्राम पंचायत तर्री के सरपंच पति लखन सिन्हा एवं सतीश वर्मा द्वारा इस कार्य को किया गया है। इस दौरान जब उपसरपंच विवेक शर्मा ने कार्य को रोकने की बात कही तो उन्हें गाली-गलौज का सामना करना पड़ा। इस पूरे मामले को लेकर समस्त पंचगण, ग्रामवासी एवं उपसरपंच विवेक शर्मा ने स्थानीय पुलिस थाना में लिखित आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई है। ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन इस घटना की गहन जांच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे, ताकि पुनः इस प्रकार की मनमानी फिर से न की जाए।
सरपंच पतियों का हस्तक्षेप गंभीर समस्या
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सतीश वर्मा ग्राम तर्री का निवासी है और ग्राम पंचायत तुता में सचिव के पद पर पदस्थ है और इन्ही के संरक्षण में यह नियम विरुद्ध कार्य किया गया है। वहीं बगैर किसी संवैधानिक पद के सरपंच पतियों का हस्तक्षेप एक गंभीर सामाजिक और राजनीतिक समस्या है, जिसमें निर्वाचित महिला सरपंचों के हितों की उपेक्षा की जाती है। जनता से चुन कर आए प्रतिनिधि होने के बावजूद अपने पति या पुरुष रिश्तेदार के दबाव में कार्य करने के लिए विवश होते है।
जन आंदोलन की चेतावनी
एक तरफ जहां मोदी सरकार एक पेड़ माँ के नाम अभियान चला रही है वहीं दूसरी ओर इन्ही के अनुयायी इस तरह अनैतिक रूप से पेड़ काटकर मनमानी करते हुए लोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में कमी नहीं कर रहे। ग्रामीणों का कहना है कि वट वृक्ष भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। यह पेड़ न केवल छाया और ऑक्सीजन प्रदान करता है बल्कि पर्यावरण संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे पवित्र वृक्ष को कटवाना न केवल पर्यावरण के खिलाफ है बल्कि आस्था पर भी चोट है।
ग्रामीणों ने इस घटना पर गहरा आक्रोश जताते हुए कहा कि यदि दोषियों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में इसके लिए आंदोलन भी किया जाएगा।
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