गरियाबंद जिले में अब कोई भी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे नहीं, युक्तियुक्तकरण से हुआ संभव

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– शासन के निर्देशानुसार शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण अंतर्गत गरियाबंद जिले में विभिन्न शिक्षक संवर्गों के अतिशेष शिक्षकों की ओपन काउंसलिंग के तहत युक्तियुक्तकरण करते हुए रिक्त स्थान वाले शालों में पदस्थापना आदेश जारी की गई। युक्तियुक्तकरण से पूर्व मैनपुर के दूरस्थ क्षेत्रों मे 6 शिक्षकविहीन एवं 69 एकल शिक्षकीय शाला थे, जिसमे शिक्षकों की पूर्ति हो गई है, अब सिर्फ 13 शाला एकल शिक्षकीय बच गये है।
इसी तरह देवभोग ब्लॉक मे 4 शिक्षक विहीन तथा 30 एकल शिक्षकीय शाला थे, तथा 6 हाई स्कूल भी एकल शिक्षकीय थे, परंतु फिंगेश्वर ब्लॉक ई संवर्ग के अतिशेष शिक्षकों से इन पदों की भरपाई हो गई, अब देवभोग ब्लॉक में कोई भी शाला शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय नहीं रहा। युक्तियुक्तकरण से दूरस्थ अंचलों के विशेष कर मैनपुर एवं देवभोग के शिक्षकों की कमी वाले शालाओं में शिक्षकों की पूर्ति हुई है।
गरियाबंद जिले में युक्तियुक्तकरण के पूर्व मैनपुर छुरा एवं गरियाबंद, तीनों आदिवासी विकासखंडो मे कुल 16 शिक्षक विहीन तथा 167 एकल शिक्षकीय शाला थे। वर्षों से इन शालाओं में शिक्षकों की मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही थी। परंतु युक्तियुक्तकरण के तहत अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के माध्यम से इन शालाओं में पूर्ति संभव हो पाई। इन विकासखंडो में अब कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं रह गया है। मात्र 46 स्कूल ही ऐसे बचे हैं जो एकल शिक्षकीय हैं।
कोई भी शिक्षक जाना नहीं चाहता था
देवभोग विकासखंड मे 6 हाई स्कूल ऐसे थे जहां सिर्फ एक शिक्षक की पदस्थापना थी। एक शिक्षक के भरोसे सारी विषयों की पढ़ाई बमुश्किल हो पा रही थी, परंतु अब युक्तियुक्तकरण के माध्यम से सभी 6 हाई स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई है, कोई भी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे नहीं है। गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड वर्षों से शिक्षकों की कमी का दंश झेलता रहा है। दूरस्थ एवं वनांचल क्षेत्र होने के कारण कोई भी शिक्षक वहां जाना नहीं चाहता था, पदांकन होने के बाद भी कोई ऐसे क्षेत्रों में रहना नहीं चाहता था। परंतु अब हालात बदल गए हैं, युक्तियुक्तकरण में ऐसे ही स्कूलों में शिक्षक पूर्ति का लक्ष्य रखा गया था, कुल्हाड़ीघाट नकबेल गरीबा, गोबरा, सहेबिनकच्छार ऐसे दर्जनों गांव में अब शिक्षकों की पूर्ति संभव हो पाई है।
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