राजिम बेलटुकरी के सहदेव ने किया गांव का नाम गौरवान्वित, दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों से हुए सम्मानित

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) राकेश देवांगन :राजिम क्षेत्र के ग्राम बेलटुकरी के प्रतिभाशाली शोधार्थी सहदेव पिता नरोत्तम ने एक बार फिर अपने गांव और जिले का नाम रोशन किया है। हाल ही में शासकीय दिग्विजय स्वशासी महाविद्यालय, राजनांदगांव में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार “सतत विकास और जलवायु परिवर्तन” (04-06 मार्च 2025) में सहदेव की विद्वत्ता और शोध कौशल की गूंज सुनाई दी।

इस प्रतिष्ठित संगोष्ठी में हाल ही में सहदेव ने अपने गाईड डॉ. श्वेता चौबे, प्रोफेसर रसायन एवं विभागाध्यक्ष के साथ 9 शोध-पत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी पुस्तक “हाल ही में चुनौती का सामना करना: जलवायु परिवर्तन के सामने सतत विकास” में प्रकाशित हुए। साथ ही उनके 3 अन्य शोध-पत्र पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

उनके उल्लेखनीय शोध कार्य के लिए उन्हें दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों ‘प्रोफेसर एस.आर. उबगड़े रिसर्च स्कॉलर अवार्ड फॉर पीएचडी स्कॉलर’ और प्रो. वी. तम्बोली प्रकृति मित्र पुरस्कार से नवाजा गया। बता दे कि यह सम्मान उन शोधकर्ताओं को दिया जाता है जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में नवाचार करते हैं।

सहदेव की शिक्षा और शोध यात्रा

सहदेव वर्तमान में शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर के रसायन में पीएचडी शोधार्थी हैं। उन्हें डॉ. श्वेता चौबे, प्रोफेसर रसायन एवं विभागाध्यक्ष, विज्ञान एवं मानविकी, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़ के द्वारा मार्गदर्शन किया जा रहा है।

शिक्षा की नींव उन्होंने अपने गांव बेलटुकरी के शासकीय विद्यालय (कक्षा 6-8 वीं) में रखी। फिर शा. देवीय सम्पद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, राजिम से 12वीं और शा. राजीवलोचन महाविद्यालय, राजिम से बीएससी में स्नातक किया। उन्होंने एमएससी पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से पूर्ण किया और अब पीएचडी रसायन विभाग, शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर कर रहे हैं।

समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत

सहदेव उन हजारों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरे हैं जो यह मानते हैं कि संसाधनों की कमी सफलता की राह में बाधा है। सहदेव का जीवन प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प, परिश्रम और लगन से किसी भी ऊँचाई को छुआ जा सकता है।

चुनौतियों के बीच संघर्ष

पीएचडी शोध यात्रा के दौरान आने वाली विविध चुनौतियों और संघर्षों के बीच उन्हें शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर से उन्होंने संस्थान के प्रति ह्रदय से कृतज्ञता व्यक्त की है। इस उपलब्धि की प्रेरणा और आधारस्वरूप अपने माता-पिता के निरंतर सहयोग, प्रेम और आशीर्वाद को मानते हुए उन्होंने उनके प्रति भी ह्रदयतल से आभार प्रकट किया है। उनका यह संघर्षशील मार्ग आज की सफलता में परिवर्तित हुआ है, जिसमें संस्थान और परिवार दोनों की अमूल्य भूमिका रही है।

सम्मान और गर्व का क्षण

उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और ग्राम बेलटुकरी के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह उन सभी विद्यार्थियों को आशा और प्रेरणा देती है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।

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