गणेश चतुर्थी 2025 : राजिम में स्थापित 8-9वीं शताब्दी के अष्टभुजी गणेशजी, दर्शन मात्र से ही होते है सभी मनोकामनाएं पूर्ण
इस गणेश उत्सव में करें दर्शन अष्टभुजी गणेशजी का

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- राजिम को ‘छत्तीसगढ़ का प्रयाग’ ऐसे ही नहीं कहा जाता, यहाँ तीन नदियों के संगम के साथ ही यह नगरी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। 8-9वीं सदी में बने राजीव लोचन मंदिर, नदी के मध्य में स्थित कुलेश्वर महादेव का मंदिर, श्री राम चंद्र जी का मंदिर सहित राजिम में कई मंदिर हैं, जो आस्था से जुड़े हैं और यहाँ के इतिहास का बखान करते है।
आज गणेश चतुर्थी के इस खास अवसर पर हम जानते है राजिम में स्थापित दो ऐसे गणेश जी की मूर्ति के बारे में जिनके दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। माना जाता है कि ये मूर्तियां 8-9वीं सदी में स्थापित की गई है। इन्हे अष्टभुजी गणपति जी के रूप में पूजा जाता है।
राजीव लोचन मंदिर एक प्राचीन विष्णु मंदिर है जो 8वीं शताब्दी का माना गया है। यहां मंदिर के मुख्य द्वार पर ही अष्टभुजी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है, जिसके बारे में मान्यता है कि जब भी कोई भगवान राजीवलोचन जी के दर्शन करने आता है तो वह सबसे पहले प्रथम दर्शन के रूप में भगवान गणेश जी की अष्टभुजी प्रतिमा का दर्शन करता है। उसके बाद ही वह राजीवलोचन जी के दर्शन करता है।
कहा जाता है कि ऐसा करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार की खासियत उसके जटिल नक्काशीदार स्तंभ हैं जिन पर देवी-देवताओं की आकृतियाँ उकेरी गई हैं। मुख्य द्वार पर अष्टभुजी गणेश जी की प्रतिमा के अतिरिक्त, दुर्गा जी के साथ विष्णु के वराह और नरसिंह अवतारों, गंगा-यमुना और अन्य पौराणिक दृश्यों को भी स्तंभों पर दर्शाया गया है।
श्री रामचन्द्र मंदिर में स्थापित अष्टभुजी गणेश जी
ऐसे ही राजिम का पूर्व मुखी श्री रामचन्द्र मंदिर भी अति प्राचीन मंदिर है जिसके गर्भ गृह में अष्टभुजी गणेश जी भगवान रामचंद्र जी के ठीक पहले विराजमान है। मंदिर के गर्भगृह में बने पाषाण स्तंभों की शिल्पकला इस मंदिर की प्राचीनता को दर्शाती है। मंदिर के स्तम्भों पर उकेरी गई देवी देवताओं की प्रतिमा सहित कला का उत्कृष्ट नमूना यहाँ देखने को मिलता है। एक शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 8-9वीं शताब्दी ई का है।
यहां मौजूद शिलालेख, मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कल्चुरी सामंतों के प्रमुख जगतपाल देव द्वारा किए जाने की पुष्टि करता है। मंदिर में बुधवार को बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है साथ ही गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक यहां पर भक्तों की भीड़ रहती है। लोग यहां पर आकर गणेश जी को दूर्वा अर्पित कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने हेतु गणेशजी से प्रार्थना करते हैं।
छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/BM4cHVhLYrPLudwEhQHVBB?mode=ac_t