नागा साधु-संतों ने लोमश ऋषि आश्रम में फहराया धर्मध्वजा, इष्टदेवों को किया आमंत्रित

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– राजिम कुंभ कल्प में पधारे नागा साधुओं ने अपनी संत परम्परा के अनुसार अपने इष्ट और शस्त्रों की पूजा, अर्चना कर धर्म ध्वजा फहराकर उसकी स्थापना की। संत परम्परा में ऐसी मान्यता है कि जिस तीर्थ स्थान में कुंभ, अर्ध कुंभ या कल्प कुंभ होता है वहां नागा साधुओं की उपस्थिति से कुंभ की सार्थकता होती है। नागा साधु अपने अपने अखाड़ों और संत परम्परा के अनुसार ध्वजारोहण कर धर्म ध्वजा की स्थापना करते हैं। उसी के बाद नागा सम्प्रदाय के साधु कुंभ मे आकर पर्व स्नान, शाही यात्रा जैसे आयोजनों का हिस्सा बनकर कुंभ के महत्व को पूर्ण करते हैं।

रविवार संध्या 4 बजे नागा साधुओं ने अपने ईष्ट दत्तात्रेय भगवान की पूजा-आरती कर अपनी धर्मध्वजा की स्थापना कर इष्ट देवताओं का आह्वान किया। साधुओं ने बताया कि धर्म की रक्षा के लिए यह ध्वजा खड़ी की जाती है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी संत समागम के आयोजन में विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं सहित कई मठों के मठाधीश, शंकराचार्य एवं अनेक संत सम्प्रदाय के साधु संत राजिम में आयोजित कल्प कुंभ मे पंहुचकर होने वाले पर्व स्नान के अवसर पर राजिम की त्रिवेणी संगम मे डूबकी लगाकर पुण्य लाभ कमाते है। राजिम कुंभ कल्प में आए साधु संत यहां आने वाले श्रद्धालुओं के बीच मुख्य आकर्षण का केन्द्र होते हैं। आने वाले श्रध्दालु दर्शनार्थी इन संतों का अमृत वचन सुन आशीर्वाद लेने का कोई भी अवसर नही छोडते।

नागा साधु संत हुए शामिल

नागा साधु संतो द्वारा धर्म ध्वजा की स्थापना कर अपने इष्ट का आह्वान कर कुंभ की शुरुआत करते हैं। धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद संतो का कुंभ में आना शुरु हो जाता है। रविवार को राजिम के संत समागम स्थल पर गोपाल गिरी, संतोष गिरी, कमलेषानंद सरस्वती, गोकुल गिरी, चाणक्यपुरी, उमेशानंद गिरी, राजेन्द्र गिरी, पद्मणी पुरी सहित अनेक संत सम्प्रदाय, संत समाज के साधु संतों के सानिध्य में धर्म ध्वजा स्थापित कर अपने-अपने इष्ट का आह्वान कर कुंभ की अगुवाई कर संत परम्परा का निर्वाहन किया। इस दौरान प्रबंध संचालक पर्यटन विवेक आचार्य, गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल, सदस्य सचिव मेला आयोजन समिति प्रताप पारख, अनुविभागीय अधिकारी राजिम विशाल महाराणा उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

https://chat.whatsapp.com/EmIwdJKezHHKmsjiabrwtK

यह खबर भी जरुर पढ़े

राजिम तेलीन माता की अगाध भक्ति के कारण कमलक्षेत्र पद्मावती पुरी बना राजिम, क्या है राजिम का है ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

Related Articles

Back to top button