रात में निसदा बांध के 12 गेट खुले, बचाव-बचाव की आवाज पर रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची, फिर ….
मौके पर मिनट दर मिनट किये जाने वाले प्रोटोकाल को बखूबी निभाया गया, आपदा राहत टीम ने माकड्रिल कर रेस्क्यू तैयारियों को दोहराया

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– रात में जिले के निसदा बांध के बारह गेट खोले गए, उसी बीच गांव में आवाज़ आई “बचाव-बचाव“। स्थानीय प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि एक ग्रामीण पानी में डूब रहा हैं। साथ ही यह भी पाया गया कि इंसीडेंट कमांडर द्वारा राजस्व, एसडीआरएफ, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, बिजली, पीएचई, महिला बाल विकास, जनपद आदि को आवश्यक व्यवस्था करने की सूचना दी गई।
रेस्क्यू टीम ने अपने बचाव उपकरण के साथ बोट के माध्यम से स्थल पहुंचे और रेस्क्यू कर सभी को बचाकर सुरक्षित स्थान पर लाकर प्राथमिक उपचार में सीपीआर देकर उसके शरीर से पानी निकाला एवं आगे के उपचार के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती करवाया।
यह दृश्य था, सेंध जलाशय नवा रायपुर में बाढ़ से बचाव के लिए किए गए मॉकड्रिल जो कलेक्टर डॉ गौरव सिंह के मार्गदर्शन में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम द्वारा किया गया। साथ ही एनडीएमए के वरिष्ठ सलाहकार सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर रवीन्द्र गुरंग और एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेट पवन जोशी ने भी निरीक्षण किया और आपदा राहत दल को बधाई दी।
सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया
ग्रामीणों ने पशुओं के बाढ़ में फंसे होने की जानकारी दी, रेस्क्यू टीम तत्काल उस स्थान पर पहुंची तो देखा बकरियां उंची स्थान पर है टीम के सदस्य रस्सी की मदद से ऊपर पहुंचे और बकरियों को बोट के माध्यम से सुरक्षित स्थान पर लाया गया। पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों ने उनका प्राथमिक उपचार किया एवं सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
इधर फिर से बचाव-बचाव की आवाज आने लगी टीम ने देखा तो, एक बुजुर्ग व्यक्ति और छोटा बच्चा बाढ़ में फंसे हुए थे, जिसके बाद बचाव दल ने उन्हें रेस्क्यू कर लाया, और प्राथमिक उपचार कर उन्हें रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया।
गांव का एक मकान बाढ़ में ढह गया जिसके बाद राहत बचाव दल ने फंसे हुए निवासियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया एवं उन्हें रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया गया। इसी बीच उस बाढ़ ग्रस्त गांव में विद्युत विभाग को जानकारी मिली की पेड़ गिरने के कारण कई खंभे टूट चुके थे और एक्सटेंशन तारें जमीन पर थीं जिसके बाद विभाग द्वारा बिजली बंद की गई ताकि किसी व्यक्ति को करंट न लगे। साथ ही संचार विभाग की टीम ने कनेक्टिविटी को जोड़ने के लिए कार्य करते हुए संचार को दुरूस्त किया ताकि प्रशासन और ग्रामीण एक दूसरे के संपर्क में रहें।
बाढ़ की वास्तविक स्थिति पहुंचाती रही
गांव के सचिव ने समस्त ग्रामीणों के घर खाली करवा कर ग्रामवासियों को बस के माध्यम से रिलीफ कैंप तक पहुंचाया। इसी बीच खाद्य विभाग ने ग्रामीणों तक खाद्य एवं राहत सामाग्री पहुँचाई। बाढ़ का पानी कम होने पर पीएचई विभाग द्वारा पेयजल टेस्टिंग कर क्लोरीन आदि डाला गया। इस बीच जनसंपर्क विभाग सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से बाढ़ की वास्तविक स्थिति पहुंचाती रही।
अंत में जिला प्रशासन की टीम जिनमें अपर कलेक्टर नम्रता जैन (आईएएस), एडीएम उमा शंकर बंदे, अपर कलेक्टर मनीष मिश्रा, आरंग एसडीएम अभिलाषा पैकरा, जिला सेनानी पुष्पराज सिंह, तहसीलदार विनोद साहू शामिल थे, इनके द्वारा बोट के माध्यम से जाकर निरीक्षण किया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि बाढ़ में कोई अन्य फसा तो नहीं। इस मॉकड्रिल के दौरान एनडीआरएफ की 31 सदस्यीय टीम कमांडर इंस्पेक्टर बरूण कुमार, सब इंस्पेक्टर विकास सैनी, राजीव कुमार और एसडीआरएफ की टीम शामिल थी।
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