61 दिन बाद मर्डर केस पलटा, शव किसी और का, केस किसी और का! पुलिस ने जिसे मरा समझ, वह निकला जिंदा, थाना पहुंचा चौंकाने वाला सच! जानिए पूरा मामला

61 दिन पहले मिली थी अधजली लाश, तीन दोस्त जेल में, अब पूरा केस पलटा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, दरअसल, जिस युवक को पुलिस ने मृत घोषित कर उसका मर्डर केस दर्ज कर लिया था, वह युवक जिंदा थाना पहुंच गया। युवक ने पुलिस से कहा मैं जिंदा हूं, मेरा मर्डर नहीं हुआ है। इस घटनाक्रम के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है और पुलिस भी जांच के कटघरे में आ गया। मामला जशपुर जिले के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र का है।

जानकारी के मुताबिक, युवक का नाम सीमित खाखा (30) है, जिसकी 61 दिन पहले अधजली लाश मिलने के बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया था। इस केस में उसके तीन दोस्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, जबकि दो अन्य आरोपियों को बाद में पकड़ा गया था।

थाने पहुंचते ही पलट गया पूरा मामला

पूरा घटनाक्रम उस वक्त पलट गया, जब कथित मृतक सीमित खाखा ग्राम पंचायत सिटोंगा की सरपंच कल्पना खलखो के साथ सिटी कोतवाली थाना पहुंचा। सरपंच ने बताया कि सीमित झारखंड से आने वाली बस से उतरा और सिटोंगा जाने के लिए ऑटो में बैठा। ऑटो चालक सीमित को पहचानता था। उसी ने फोन कर जानकारी दी कि जिस युवक की हत्या के आरोप में लोग जेल में हैं, वही युवक जिंदा है। इसके बाद सीमित को सीधे थाना लाया गया।

रोजगार की तलाश में झारखंड गया था युवक

थाने में सीमित को देखकर पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए। सीमित ने बताया कि वह रोजगार की तलाश में झारखंड गया था। रांची पहुंचने के बाद वह अपने साथियों से अलग हो गया और गिरिडीह जिले के सरईपाली गांव में खेतों में मजदूरी करने लगा। उसके पास मोबाइल नहीं था, इसलिए वह परिजनों या गांव से संपर्क नहीं कर सका। वह क्रिसमस मनाने घर लौट रहा था, तभी उसे अपने मर्डर केस की जानकारी मिली।

सीमित खाखा के जिंदा मिलने के बाद पुलिस के सामने कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जिस अधजली लाश की पहचान सीमित के रूप में हुई, वह असल में कौन था? गिरफ्तार आरोपियों ने हत्या की बात कबूल क्यों की? मृतक की पहचान परिजनों ने कैसे स्वीकार की?

SSP बोले: SIT टीम करेगी जांच

एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि वास्तविक मृतक की पहचान के लिए राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है। पूर्व में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की गई थी। फिलहाल मामले की दोबारा गहन जांच की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों की रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

क्या था पूरा मामला?

दरअसल, 22 अक्टूबर को सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के पुरना नगर -बालाछापर के बीच तुरीटोंगरी जंगल में एक युवक की अधजली लाश मिली थी। शव एक गड्ढे में पड़ा था और चेहरा सहित शरीर का अधिकांश हिस्सा जला हुआ था। पुलिस ने मर्ग कायम कर पोस्टमॉर्टम कराया। रिपोर्ट में मौत को हत्या बताया गया, जिसके बाद बीएनएस की धारा 103(1) और 238(क) के तहत केस दर्ज किया गया।

जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि ग्राम सिटोंगा निवासी सीमित खाखा अपने साथियों के साथ मजदूरी के लिए झारखंड गया था। उसके साथी लौट आए, लेकिन सीमित वापस नहीं आया। पुलिस के अनुसार, 17 अक्टूबर को सीमित अपने साथियों रामजीत राम, विरेंद्र राम और एक नाबालिग के साथ जशपुर लौटा था। बांकी नदी पुलिया के पास शराब पीने के दौरान कमीशन राशि को लेकर विवाद हुआ।

आरोपियों ने कबूला था जुर्म

आरोप था कि रामजीत ने चाकू से और विरेंद्र ने लोहे की रॉड से हमला कर सीमित की हत्या कर दी। बाद में शव को जंगल में ले जाकर पेट्रोल डालकर जलाने की कोशिश की गई। शव की पहचान कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीमित के माता-पिता और भाई ने की थी। आरोपियों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने हत्या स्वीकार की थी और पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई थी।

अब फिर से खुलेगा केस

सीमित खाखा के जिंदा मिलने से न सिर्फ यह केस, बल्कि पुलिस जांच की प्रक्रिया और पहचान तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह देखना अहम होगा कि पुलिस वास्तविक मृतक की पहचान कैसे करती है और निर्दाेष लोगों को जेल भेजे जाने के मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।

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