चिंगरा पगार की चट्टानों पर कलाकारों ने उकेरी जंगल की दुनिया, कलाकृत्तियों ने पत्थरों में डाली जान, पर्यटकों के लिए होगा रोमांचक

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– गरियाबंद जिले के प्रसिद्द पर्यटन स्थलों में से एक चिंगरा पगार में अब एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। मानसून में यहां झरने के साथ साथ आप चिंगरा पगार के घने जंगलों, ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों और पहाड़ों की चट्टानों को पार करने का प्लान बना रहे हैं, तो तैयार हो जाइए एक ऐसे नजारे के लिए, जो आपकी आंखों को हैरान और दिल को सुकून देगा। इस जगह को अब एक नया आकर्षण मिला है, जो इसे और भी खास बना रहा है।
यहां खैरागढ़ से आए कलाकार दंपति धरम नेताम और मनीषा नेताम ने अपनी अद्भुत कला से चट्टानों को जादुई रूप दे दिया है। इन विशाल चट्टानों पर अब आपको जंगल की दुनिया जीवंत होती दिख रही है। विशाल अजगर की लहराती आकृति, शेर की दहाड़ती मुद्रा, तेंदुए की फुर्तीली छवि, मछली की तैरती शैली, मगरमच्छ की डरावनी शक्ल, बिच्छू की जहरीली बनावट, गिरगिट की रंग बदलती छटा, घेंघा की रहस्यमयी उपस्थिति, जंगली भैंसे की ताकत, कछुए की शांति, केकड़े की चाल और न जाने कितने वन्य प्राणियों की आकृतियां इन पत्थरों पर उकेरी गई हैं। इन चट्टानों को देखकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति और कला का अनोखा संगम हो गया हो। हर एक नक्काशी इतनी बारीक और जीवंत है कि इसे देखने वाला हर शख्स आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाएगा।
दो महीनों से चिंगरा पगार में दिन-रात मेहनत कर रहे
इस कलाकारी में माहिर धरम नेताम और मनीषा नेताम खैरागढ़ जिले के गंडई गांव से ताल्लुक रखते हैं। वन विभाग के सहयोग से ये दंपति चिंगरा पगार पहुंचे और यहां की प्राकृतिक संपदा को अपनी कला से संवारने का बीड़ा उठाया। दोनों ने खैरागढ़ में पत्थरों को मूर्त रूप देने का विशेष प्रशिक्षण लिया है और यह उनकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
इन दंपति कलाकारों ने अपनी यात्रा के बारे में बताया कि वे हाल ही में अहमदाबाद से लौटे हैं, वहाँ भी उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया था। पिछले दो महीनों से वे चिंगरा पगार में दिन-रात मेहनत कर रहे थे ताकि इन चट्टानों को एक नया जीवन दिया जा सके। अब उनका काम पूरा हो चुका है और इसका नतीजा हर किसी के सामने है।
यह पहली बार नहीं है जब इस दंपति ने अपनी कला से लोगों को हैरान किया हो। इससे पहले वे देश के कोने-कोने में अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा चुके हैं। गोवा के समुद्री तटों से लेकर दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों तक, हैदराबाद की हाई-टेक दुनिया से लेकर कर्नाटक की हरी-भरी वादियों तक, इस जोड़े ने हर जगह पत्थरों को बोलती तस्वीरों में ढाला है। चिंगरा पगार में उनकी यह कृति न सिर्फ पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन गई है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी गर्व का विषय है।
पर्यावरण के प्रति लोग होंगे जागरूक
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की पहल से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को भी दुनिया के सामने लाया जा सकेगा। धरम और मनीषा का मानना है कि प्रकृति और कला का यह मेल लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने में भी मदद करेगा।
अगर आप भी इस अनोखे अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो देर न करें। चिंगरा पगार की सैर पर निकल पड़िए और देखिए कि कैसे पत्थरों पर उकेरी गई यह जादुई दुनिया आपका मन मोह लेती है। तैयार हो जाइए एक ऐसी यात्रा के लिए, जो आपके लिए यादगार बन जाएगी!
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