परीक्षा पे चर्चा : सही समय जैसा कुछ नहीं है इसलिए इसका इंतजार न करें – PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘‘परीक्षा पे चर्चा’’ कार्यक्रम को कलेक्टर ने भी सुना

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज):- प्रधानमंत्री भारत शासन के वार्षिक कार्यक्रम ‘‘परीक्षा पे चर्चा’’ के सातवें संस्करण का आयोजन आज नई दिल्ली के भारत मंडपम से किया गया, जिसका सीधा प्रसारण पूरे भारत वर्ष में किया गया। जिसमें प्रसारण को देखने के साथ अन्य रोचक कार्यक्रम भी आयोजित किये गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऑनलाइन परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का आयोजन जिला मुख्यालय गरियाबंद के स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में किया गया।

इसके आलावा जिले के विभिन्न स्कूलों में भी प्रधानमंत्री के परीक्षा पे चर्चा का ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजन किया गया। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय गरियाबंद में नगर पालिका परिषद के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सोनटेके, कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल, एसडीएम विशाल महाराणा अन्य गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, जिला शिक्षा अधिकारी रमेश निषाद, डीएमसी के.सी नायक सहित अन्य स्कूलों के माध्यमिक और हायर सेकेण्डरी के विद्यार्थीगण और पालकगणों ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम को बड़े उत्साहपूर्वक सुना।

प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा 2024 के दौरान छात्राएं शिक्षकों और अभिभावकों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमारे बच्चों में लचीलापन पैदा करना और उन्हें दबावों से निपटने में मदद करना महत्वपूर्ण है। छात्रों की चुनौतियों का समाधान अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों को भी सामूहिक रूप से करना चाहिए। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा छात्रों के विकास के लिए शुभ संकेत है।

परीक्षा हॉल का तनाव हो जाएगा दूर

उन्होंने कहा कि शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं हैं बल्कि वे छात्रों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी निभाते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को उनका विजिटिंग कार्ड नहीं बनाना चाहिए। छात्रों और शिक्षकों के बीच का बंधन पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या से परे होना चाहिए। अपने बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता के बीज कभी न बोएं। बल्कि भाई-बहनों को एक.दूसरे के लिए प्रेरणा बनना चाहिए। अपने सभी कार्यों और अध्ययन में प्रतिबद्ध और निर्णायक बनने का प्रयास करें। जितना संभव हो उत्तर लिखने का अभ्यास करें। यदि आपके पास वह अभ्यास है तो परीक्षा हॉल का अधिकांश तनाव दूर हो जाएगा।

प्रौद्योगिकी को बोझ नहीं बनाना चाहिए। इसका विवेकपूर्ण उपयोग करें। सही समय जैसा कुछ नहीं है इसलिए इसका इंतजार न करें। चुनौतियां आती रहेंगी और आपको उन चुनौतियों को चुनौती देनी होगी। यदि लाखों चुनौतियां हैं, तो अरबों समाधान भी हैं। असफलताओं से निराशा नहीं होनी चाहिए। हर गलती एक नई सीख हैं। उचित शासन के लिए भी नीचे से ऊपर तक उत्तम सूचना की व्यवस्था और ऊपर से नीचे तक उत्तम मार्गदर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए। मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं।

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