चार वर्षों से बहिष्कार का तंज झेल रहे पांच परिवार, सामाजिक मेलजोल और पहुनी पसारी पर भी रोक

शासन प्रशासन सभी से लगा चुके हैं गुहार

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) किशन सिन्हा :– सामाजिक ताने-बाने और मानवीय रिश्तों पर गंभीर सवाल उठाने वाला एक मामला गरियाबंद जिले में तहसील छुरा के ग्राम कसेकेरा से सामने आया है। यहां पांच परिवार पिछले चार वर्षों से ग्राम समाज द्वारा बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि उन्हें गांव के सामूहिक कार्यक्रमों, पौनी पसारी और सामाजिक मेलजोल तक से दूर कर दिया गया है।

इंदिरा बाई साहू के अनुसार, उनके परिवार सहित योगेन्द्र साहू, ईश्वर लाल साहू, पीलेश साहू और साधना साहू को भी समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। आरोप है कि गांव के प्रभावशाली लोगों ने हुक्का-पानी बंद करने के साथ-साथ रिश्तेदारी और बातचीत पर रोक लगाई है। यहां तक कि उनके घर-आंगन में कोई ग्रामीण आता-जाता भी नहीं है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि वे कबीर के मार्ग पर चलने वाले लोग हैं, हिंदू धर्म को मानते हैं मगर मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते। इसी वजह से विरोधी विचारधारा वाले लोग उन्हें सामाजिक तौर पर अलग-थलग करने में लगे हैं।

कार्यों में सहयोग न करने का आरोप

आवेदन के अनुसार कसेकेरा गांव के अन्य परिवार गोविन्द पटेल, प्रीतराम ध्रुव, नंदकिशोर निषाद और बहादुर निषाद को भी इसी तरह का सामाजिक बहिष्कार सहना पड़ रहा है। इन परिवारों का कहना है कि गांव के सार्वजनिक कार्यों में सहयोग न करने का आरोप लगाकर समाज से उन्हें काट दिया गया है, जबकि असलियत यह है कि उन्हें बिना किसी ठोस कारण के दंडित किया जा रहा है।

पीड़ितों ने जिला प्रशासन और उच्चाधिकारियों से मांग की है कि वे मौके पर पहुंचकर निष्पक्ष जांच करें और दोषियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। परिवारों का कहना है कि सामाजिक सहयोग और सामुदायिक जीवन के बिना गुजर-बसर करना असंभव है, ऐसे में प्रशासन को आगे आकर उन्हें न्याय दिलाना चाहिए।

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