(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– गरियाबंद जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को एक और बड़ी सफलता मिली है। पुलिस की रणनीति और राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर तीन हार्डकोर नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। इनमें दो महिलाएं मंजुला उर्फ लखमी और सुनीता उर्फ जुनकी, तथा एक पुरुष दिलीप उर्फ संतु शामिल हैं। ये तीनों नक्सली कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहे हैं और इन पर कुल 15 लाख रुपये का इनाम था।
सोमवार को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नक्सल ऑप्स रायपुर विवेकानंद, पुलिस महानिरीक्षक रायपुर रेंज रायपुर अमरेश मिश्रा की मौजूदगी में पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस आत्मसमर्पण की जानकारी दी। बड़ी बात यह है कि तीनों नक्सलियों ने ऑटोमैटिक हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण नीति के तहत प्रत्येक को 25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है।

एसपी निखिल राखेचा की पदस्थापना के बाद से जिले में नक्सल विरोधी अभियान में लगातार सफलता मिल रही है। पुलिस की सघन सर्चिंग और रणनीति के चलते नक्सलियों पर जबरदस्त दबाव बढ़ा है। बार-बार ठिकाने बदलने के कारण नक्सली कमजोर पड़ रहे हैं। बीते महीने 17 नक्सलियों के मारे जाने के बाद से नक्सलियों के हौसले पस्त हो गए हैं, और अब वे हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के लिए आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
नक्सल कैडर कमजोर हो रहा
एडीजी अमरेश मिश्रा ने कहा कि बस्तर और रायपुर के नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की प्रभावी रणनीति के चलते नक्सल कैडर कमजोर हो रहा है। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर समाज के विकास में योगदान दें। गरियाबंद पुलिस की इस सफलता को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है, जो आने वाले समय में और नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए प्रेरित करेगी।
कई बड़ी घटनाओं में थे शामिल

गरियाबंद अंतर्गत सक्रिय माओवादी संगठन एसडीके एरिया कमेटी के डिप्टी कमाण्डर- दिलीप उर्फ संतू 05 लाख के ईनामी नक्सली ने आटोमेटिक हथियार के साथ आत्मसर्मण किया। माओवादी संगठन में रहने के दौरान यह गोबरा क्षेत्र, उदंती क्षेत्र, सीतानदी एवं आमामोरा क्षेत्र में हुये विभिन्न माओवादी घटनाओं में शामिल रहने के साथ-साथ प्रमुख घटनायें जैसे- सिकासेर के जंगल में हुये मुठभेड़ जिसमें 01 महिला नक्सली कि मारे जाने की घटना तथा भालूडिग्गी पहाडी जिसमें 16 माओवादी मारे घटना में शामिल था।
इसी तरह गरियाबंद में सक्रिय एसडीके एरिया कमेटी एसीएम की मंजुला उर्फ लखमी 05 लाख ईनामी जो माओवादी संगठन में रहने के दौरान आमामोरा, सोनाबेडा एवं पाताघारा क्षेत्र में हुये विभिन्न माओवादी घटनाओं में शामिल होने के साथ-साथ प्रमुख घटनायें जैसे-सिकासेर के जंगल में हुये मुठभेड़ जिसमें 01 महिला नक्सली कि मारे जाने की घटना तथा भालूडिग्गी पहाडी जिसमें 16 माओवादी मारे जाने की घटना में शामिल थी।
बरगढ़ एरिया कमेटी सदस्य सुनीता उर्फ जुनकी 05 लाख ईनामी इसे दिसम्बर 2024 में बरगढ से गरियाबंद लेकर आया गया था। जनवरी 2025 को गरियाबंद के भालूडिग्गी पहाडी में इक्कठा हुये थे उसी दौरान पुलिस के साथ मुठभेड की घटना हुई जिसमें भागने में यह सफल हो गई थी ने आत्मसर्मण किया।
मन विचलित हो जाता था

इन्होंने बताया कि माओवादियों द्वारा अत्याचार, शोषण व लोगो की बेबशी को देखकर मन विचलित हो जाता था। शासन की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति के तहत समर्पण करने पर पद अनुरूप ईनाम राशि की सुविधा, हथियार के साथ समर्पण करने पर ईनाम राशि की सुविधा, स्वंय पर दर्ज अपराधिक रिकार्ड को समाप्त करना, बिमार होने पर स्वास्थ्य सुविधा, आवास की सुविधा, रोजगार की सुविधा को हमारे कई माओवादी साथी (आयतु, संजय, मल्लेश, मुरली, टिकेश, लक्ष्मी, मैना, कांति, राजीव, ललिता) आत्मसर्मण कर लाभ उठा रहे है जिसके बारे में हम लोगो को समाचार पत्रो व स्थानीय ग्रामीणों के माध्यम से जानकारी प्राप्त होती थी।
गरियाबंद पुलिस द्वारा जंगल-गांवों में लगाये समर्पण नीति के पोस्टर-पाम्पलेट भी प्राप्त होते थे जिससे हम लोगों के मन विचार आया कि हम लोग क्यों जंगल में पशुओं की तरह दर-दर भटक रहे है और इन बडे माओवादी कैडरो की गुलामी कर रहे है। माओवादियों की खोखली हो चुकी विचारधारा, जंगल की परेशानियां तथा आत्मसमर्पित साथियों के खुशहाल जीवन से प्रभावित होकर हम लोग भी अपने परिवार के साथ अच्छा जीवन बिताने के लिए आत्मसर्मपण के मार्ग को अपनाया है।
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