घटारानी मे नवमी पर कन्या भोज के बाद जँवारा विसर्जन, लगी रही श्रद्धालुओ की भीड़

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज ) :- नौ दिनो तक चलने वाले नवरात्रि पर्व का समापन मंदिरों में हवन पूजन अनुष्ठान और ज्योत जंवारा के विसर्जन के साथ संपन्न हुआ।शरदीय नवरात्रि के आठवें दिन रविवार को नवरात्रि के महाष्टमी पर्व को लेकर देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। माता के भक्तों ने अष्टमी पर माता दुर्गा का विशेष श्रृंगार कर पूजा अर्चना किया। अष्टमी को आरती पूजन करने मंदिरो में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। दिनभर भक्त माता की मूर्ति पर नारियल, सोलह श्रृंगार आदि चढ़ाकर सुख समृद्धि की कामना करते रहे।

नवरात्रि के आठवें दिन रविवार को गरियाबंद जिले के धार्मिक और पर्यटक स्थल घटारानी के देवी मंदिर में महाअष्टमी को लेकर भक्तों का दिनभर तांता लगा रहा । मां घटारानी का आज विशेष शृंगार किया गया था । महाअष्टमी के अवसर पर मंदिर के प्रांगण में हवन पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ । जिसमें मंदिर समिति के कार्यकर्ताओं सहित आसपास के ग्रामीण जन बड़ी संख्या में अनुष्ठान करने शामिल हुए ।

माता के मंदिर में आकर्षक साज-सज्जा की गई

अष्टमी पूजन मे मंदिर समिति के तारण सिंह ध्रुव, जहूर दीवान, परमेश्वर गंधर्व, खेमू ध्रुव, खेमराज ध्रुव, परमेश्वर दीवान, दुर्गा यादव, ढीहू साहू, धनेश ध्रुव, हीराधर सिन्हा, कोमल साहू, योगी ध्रुव, जागेश कुमार ध्रुव, खोमेश ध्रुव, तोरण सहित मंदिर के पुजारी पंडागण एवं आसपास के ग्रामीण सम्मिलित हुए । 

नवरात्रि के अंतिम दिन सोमवार को नवमी तिथि मे मंदिर समिति द्वारा नौ कन्या भोज का आयोजन किया गया। विसर्जन के पहले नौ कन्या भोज कराकर शुभ मुहूर्त में जंवारा विसर्जन कर नवरात्र पर्व का समापन किया गया ।

विसर्जन के दौरान गाजे बाजे के साथ माता सेवा गीत गाकर माता को विदाई दी गई । अंत में घटारानी में बने कुंड में जंवारा का विसर्जन कर प्रसादी वितरण का कार्यक्रम हुआ । जिसके चलते समूचे अंचल का वातावरण भक्तिमय हो गया था । 

नवरात्र के पूरे दिन भंडारे का आयोजन

मां घटारानी मंदिर समिति के अध्यक्ष तारण सिंह ध्रुव ने बताया की नवरात्रि में मंदिर समिति द्वारा प्रतिवर्ष पूरे नवरात्रि भर भंडारे का आयोजन किया जाता है जवारा विसर्जन के साथ ही इस भंडारे का समापन होता है । इस भंडारे में खास बात यह होती है कि किसी भी प्रकार से कागज के पत्तलों का उपयोग नहीं किया जाता है भंडारे में अभी तक केवल पत्तों से बने पत्तल का ही उपयोग किया जाता है। जिससे किसी भी प्रकार से प्रकृति को हानि नहीं पहुचती है ।

घटारानी से जतमई जाना हुआ आसान

मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि श्रद्धालुओं के मांग के अनुरूप घटारानी से जतमई जाने वाले घाटी मार्ग का मंदिर समिति ने अपने मद से स्वयं खर्च कर रोड का पुनर्निर्माण करवाया है जिससे घटारानी से जतमई जाने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो साथ ही उनके समय की भी बचत होगी।

आपको बता दें कि घटारानी से जतमई के लिए घाटी को काटकर एक सुगम रास्ता बनाया गया है लेकिन बरसात के दिनों में मुरूम के बह जाने से मार्ग बहुत उबड़ खाबड़ और खतरनाक हो जाता है जिसमें कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी है। रोड के पुनर्निर्माण हो जाने से यात्रियों के समय की काफी बचत होगी ।

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