अभनपुर ब्लॉक के ग्राम पचेड़ा की स्व-सहायता समूह बनी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा, किया 22 लाख रूपए का व्यापार

राज्योत्सव जैसे बड़े कार्यक्रम से लेकर शासकीय कार्यालयों मेें कर रहीं हैं आपूर्ति

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप लखपति दीदियां किस तरह अपने उद्यम से अपना संसार बदल रही हैं इसका सुंदर उदाहरण जिले के अभनपुर ब्लॉक के ग्राम पचेड़ा में झरिया अल्कलाइन वाटर बाटलिंग प्लांट चलाने वाली शारदा समूह की महिलाएं हैं। एक छोटी सी शुरूआत करते हुए ये अपना व्यवसाय खड़ा कर चुकी हैं और झरिया के नाम से अपना ब्रांड बना चुकी हैं।

राज्योत्सव-2025 में इस समूह के द्वारा अल्कलाइन वाटर की सप्लाई की गई है। आज इनके द्वारा करीब 22 लाख रूपए का व्यापार कर लिया गया है। यह सब अन्य महिलाओें के लिए प्रेरणा बन रही है। हर दिन करीब 5 हजार बोतल पानी बनाने वाले इस प्लांट से अब मंत्रालय, जंगल सफारी, आईआईआईटी, एनआरडीए, पर्यावास भवन में भी सप्लाई होने लगी है। यह प्लांट नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ के संयुक्त प्रयास से स्थापित किया गया है।

आधुनिक तकनीक से लैस इस प्लांट में दो प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जहां जल की शुद्धता और उसका पीएच स्तर जो सामान्यतः 8 से 8.5 के बीच रखा जाता है- की नियमित जांच होती है। जल को 500 एमएल की काँच की बोतलों में पैक किया जाता है

यह प्लांट ग्रामीण महिलाओं के लिए जीवन बदलने वाली पहल है। इस परियोजना के माध्यम से महिलाओं को सीधा रोजगार मिला है। ये महिलाएं अब न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि समाज में एक सशक्त भूमिका निभा रही हैं। कलेक्टोरेट रायपुर में होने वाली बैठकों में ’झरिया’ पानी बोतल ही दिया जाता है। जहां इसे अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। एक बोतल पानी की कीमत 58.20 रुपए है, जिसमें बोतल की कीमत 50 रुपए है। बोतल वापसी के समय ये राशि वापस दे दी जाती है।

यहां मिलेगा एल्कलाइन पानी बोतल

जिला पंचायत परिसर स्थित बिहान संगवारी हाट, बी-1 कैफे एवं ग्राम पचेड़ा स्थित बॉटलिंग प्लांट में आप संपर्क कर सकते हैं। यह पहल राज्य की महत्वाकांक्षी योजना ‘लखपति दीदी’ को गति प्रदान कर रही है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। इस प्लांट के जरिए न केवल स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि वे एक स्थायी आजीविका मॉडल की ओर अग्रसर हो रही हैं।

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