स.शि मं. नवापारा की नन्हीं बालिकाओं ने दिया ईमानदारी का परिचय, संस्था ने किया सम्मान
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज)नवापारा :- आज पैसे को देखकर किसी की भी नियत डोल जाती है। वहीं सरस्वती शिशु मंदिर नवापारा की कक्षा चौथी की नन्ही बच्चियों ने ईमानदारी का परिचय देते हुए मैदान में मिले अट्ठारह सौ रूपये को विद्यालय के प्राचार्य के पास जमा कर पूरे समाज के लिए एक आदर्श स्थापित किया है । जिससे अन्य विद्यार्थियों में भी सत्यनिष्ठा के भाव जाग्रत होंगे।
कक्षा चौथी की नन्ही बच्चियां डिंपल साहू,साक्षी साहू, राजकुमारी चौहान मानसी सोनकर को स्कूल के मैदान मे खेलते वक्त अट्ठारह सौ रूपये मिले । जिसे बच्चियों ने प्राचार्य के पास जमा कर दिया। यह रुपए ग्यारहवीं में अध्ययन कर रही क्षमा ध्रुव के थे। जो शुल्क जमा करने के लिए लेकर आई थी। पैसे खो जाने से क्षमा परेशान थीं लेकिन पैसे वापस पाकर उसके चेहरे में खुशियों की लहर दौड़ आई । बच्चियों से लिपटकर उनकी आखों से खुशी के आंसू आ गए ।
बच्चों के इस कार्य के लिए विद्यालय के प्राचार्य गौरीशंकर निर्मलकर, वरिष्ठ शिक्षक नरेश यादव, कृष्ण कुमार वर्मा, रेणु कुमार निर्मलकर ने तिलक वंदन लगाकर स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किए। श्रीराम जानकी शिक्षण समिति के अध्यक्ष विनोद शर्मा, सचिव वीरेंद्र कुमार साहू, उपाध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार दुबे, सहसचिव व्यासनारायण चतुर्वेदी, शिक्षक नंदकुमार साहू, तामेश्वर साहू, नारायण पटेल, नरेन्द्र साहू, संजय सोनी, परमेश्वर सिन्हा, निकीता तराने, धनेश्वरी साहू, मोनिका मालवीय, निकिता यादव, ने उन्हे बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उक्त जानकारी प्रचार- प्रसार विभाग से सरोज कंसारी ने दी।
व्यक्तित्व निर्माण में वातावरण का प्रभाव
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में वहाँ के वातावरण का बहुत प्रभाव पड़ता हैं संस्कार मर्यादा संयम और व्यवहार कुशलता से स्वस्थ जीवन शैली का निर्माण होता हैं । आज जहाँ चारों तरफ पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण कर बच्चे अपराधिक गतिविधियों में सक्रिय हो रहे और अपनी विभिन्न आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए संगती से प्रभावित होकर असामाजिक कार्य करने में भी संकोच नहीं करते ऐसे में आज के बच्चे समृद्ध भारत के निर्माण में कैसे सहयोगी होंगे?
विद्यार्थियों को उनके कर्तव्य का बोध कराने उनमें जिम्मेदारी का भाव भरने राष्ट्रप्रेम सेवाभाव आज्ञापालन बड़ो का सम्मान संस्कृति और परंपरा के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षण संस्था श्रेष्ठ नागरिक तैयार करने की दिशा में अग्रसर हैं इसी संस्कारित शिक्षा का बहुत ही सुंदर उदाहरण वहां पढ़ने वाली बालिकाओं ने प्रस्तुत किया ।
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