प्रतिबंध के बावजूद रात के अंधेरे में बोर मशीन से अवैध खनन, सबूत छुपाने नाकाम कोशिश, आदेशों को कर रहे दरकिनार

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) किशन सिन्हा :– गरियाबंद जिले में ग्रीष्म ऋतु के दौरान जल संकट की गंभीरता को देखते हुए 5 अप्रैल से 30 जून 2025 तक पूरे क्षेत्र को जलाभावग्रस्त घोषित किया गया है। इसके तहत छत्तीसगढ़ पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 03 के अंतर्गत बिना अनुमति बोर खनन पर सख़्त प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन इन आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए रात के अंधेरे में बोर खनन का काम किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक के घने वनांचल क्षेत्र जलकीपानी में बीती रात बोर खनन करते नजर आए। ग्राम पंचायत कोसमी से लगभग दो किलोमीटर अंदर, एक किसान के खेत में बिना अनुमति के नलकूप खुदाई की जा रही थी। गाड़ी नंबर KA 01 AM 4700 मौके पर मौजूद थी, जिससे बोरिंग मशीन लाई गई थी। जहां रात के अंधेरे में बोर खनन का कार्य जारी था।
सबूत छुपाने की नाकाम कोशिश
कुछ लोगों के विरोध के बाद कार्रवाई के अंदेशे से खनन करने वाले अधूरी खुदाई कर मशीन लेकर भाग निकले। हड़बड़ी में गड्ढे को मिट्टी से भरकर सबूत छुपाने की असफल कोशिश भी की गई, लेकिन जांच टीम ने मौके से मशीनरी के अवशेष, ताजा खुदाई और टायर के निशान जैसे कई पुख्ता सबूत बरामद किए हैं। जानकारी के अनुसार मशीन को रातों-रात दूसरे जिले में स्थानांतरित कर दिया गया, ताकि कार्रवाई से बचा जा सके। हालांकि वाहन नंबर और अन्य विवरणों के आधार पर जांच तेज कर दी गई है और जल्द ही बड़ी कार्यवाही की संभावना जताई जा रही है।
छुरा तहसीलदार का दावा है कि कलेक्टर के निर्देशानुसार नियमित निगरानी की जा रही है और उल्लंघन पाए जाने पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में भी संबंधित किसान और वाहन स्वामी के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही प्रारंभ हो चुकी है। प्रशासन ने आमजन से भी अपील की है कि वे जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए सजग रहें और किसी भी प्रकार की अवैध बोर खनन की सूचना तुरंत दें, ताकि समय पर कार्रवाई सुनिश्चित हो सके और आने वाले दिनों में जल संकट से बचाव हो सके।
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