श्री शिव महापुराण कथा : शिव भक्ति से भी बड़ी है राष्ट्र भक्ति, दर्पण में मुख दिखता है और संसार में सुख दिखता है लेकिन होता नहीं है
भगवान शिव वह चुंबक है जो एक बार मंदिर चले जाए या एक बार कथा श्रवण कर ले वह बार बार खींचा चला आता है।

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- छत्तीसगढ़ के गनौद खरखराड़ीह नवा रायपुर में पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले की श्री श्रावण शिव महापुराण कथा आज चौथे दिन की संपन्न हुई। कल पाँचवे दिन की कथा के साथ इसका समापन हो जाएगा। कल की कथा सुबह 8 बजे से 11 बजे तक सम्पन्न होगी। दूर दराज से शिव भक्त लाखों की संख्या में पहुंच कर कथा श्रवण का लाभ ले रहे है। कथा स्थल के चारों ओर से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
मुख्य आयोजक चंद्रकांत साहू, चंद्रशेखर, भूपेन्द्र साहू परिवार ने अंतिम समय में इसकी बागडोर संभाली जिसका प्रतिसाद अब देखने को मिल रहा है। साथ ही सतीश यादव राजिम, ऋषि सेन राजिम, मुरली साहू राजिम सहित ग्राम सरपंच और ग्रामवाशी आगंतुकों के सेवा में लगे हुए है। आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब, अभनपुर विधायक इंद्र कुमार साहू, पूर्व विधायक धनेन्द्र साहू भी कथा श्रवण का लाभ लेने चौथे दिन पहुंचे । इस शिवमहापुराण कथा के आयोजन को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। आमजनों की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए पुलिस प्रशासन और फोर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
भक्ति से भी बड़ी है राष्ट्र भक्ति
पंडित प्रदीप मिश्रा ने आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में कथा की शुरुवात करते हुए कहा कि भगवान की भक्ति से भी बड़ी है राष्ट्र भक्ति। अपने को मजबूत बनाने का प्रयास किया जाए। चाहे वो धर्म के क्षेत्र में हो, राजनीति के क्षेत्र में हो, आर्थिक व्यवयस्थाओं के क्षेत्र में हो चाहे कोई भी क्षेत्र हो हमारा प्रयास भारत देश को मजबूत बनाने और इसे आगे बढ़ाने में होना चाहिए। हमें आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर अग्रसर होना चाहिए।
दर्पण में मुख दिखता है और संसार में सुख दिखता है लेकिन होता नहीं है। दर्पण में मुख नहीं होता और संसार में सुख नहीं होता केवल हमें नजर आता है। जीतने देर दर्पण के सामने रहोगे मुख दिखाई देगा। दर्पण में कोई अलग चेहरा नहीं होता है।
भक्ति और मुक्ति की कथा
यहाँ भक्ति और मुक्ति को लेकर कथा चल रही है। यह शिव भक्ति को प्राप्त करने का मार्ग है, अगर कुछ पल की भी कथा श्रवण कर लिया तो मानो जीवन धन्य हो गया। भगवान शिव वह चुंबक है जो एक बार मंदिर चले जाए या एक बार कथा श्रवण कर ले वह बार बार खींचा चला आता है। भक्त दो तरह के होते है एक भक्त भगवान शिव को भजते है और एक भक्त को भगवान शिव भजते है आपको याद करते है। जब हम भगवान की अविरल भक्ति करते है तो भगवान हमें खुद याद करते है । आपका विश्वास और भरोसा ही आपको भगवान के करीब लेकर जाता है।
सावन में कांवड़ क्यों चढ़ाते है

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा में बताया कि शिवमहापुराण कहता है कि पहली बार काँवड़ भगवान नारायण ने लक्ष्मी माता के साथ चढ़ाई। भगवान शिव ने जब समुद्र मंथन का विष पिया था तो उन्हे शीतलता देने के लिए सबसे पहले भगवान नारायण ने कांवड़ से जल चढ़ाया था। लेकिन कुछ लोग इसे मनगढ़ंत बताते है । पार्वती खंड में यह भी वर्णन है कि माता पार्वती ने एक लोटा जल से शिव जी से सारी सिद्धियाँ प्राप्त कर ली थी।
शमशान में भगवान शिव खुद विराजमान होते है। शिव जी को कुछ नहीं चाहिए एक लोटा जल चढ़ाने से भक्त जो भी माँगता है उसे वो दे देते है। दुकान जाने से पहले, स्कूल जाने से पहले, ऑफिस जाने से पहले एक लोटा जल चढ़ाना शुरू करो सारे दुख, कठिनाई सब दूर होना शुरू हो जाएंगे।
कनेर फूल का उपाय
अटमटेश्वर महादेव की कथा बताते हुए बताया कि किसी व्यक्ति के जीवन में कोई भी भय या विपत्ति आ जाए तो अटमटेश्वर महादेव का नाम लेकर एक कनेर का फूल समर्पित कर देना तो उस व्यक्ति का भय विपत्ति हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
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