दिगंबर जैन समाज का पर्युषण पर्व उत्तम क्षमा से प्रारंभ, ईर्ष्या, क्रोध व बुराइयों को त्यागने का संदेश देता है पर्युषण पर्व

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- नवापारा नगर में दिगंबर जैन समाज के द्वारा पर्यूषण पर्व सदर रोड स्थित जैन भवन में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। श्री शांतिनाथ जिनालय से भगवान की प्रतिमा को जैन भवन में लाकर अस्थाई वेदी बनाकर विधि विधान पूर्वक आराधना की जा रही है। इस समस्त कार्य को संपन्न करने के लिए आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावी शिष्य बाल ब्रह्मचारी प्रिंस भैया का आगमन नवापारा नगरी में हुआ है।
ब्रह्मचारी प्रिंस भैया ने प्रवचन के माध्यम से बताया कि पर्यूषण पर्व के प्रथम दिवस उत्तम क्षमा का अपना एक अलग ही महत्व होता है। क्षमा पर्व हमें सहनशीलता से रहने की प्रेरणा देता है। अपने मन में क्रोध को पैदा न होने देना और अगर हो भी जाए तो अपने विवेक से, नम्रता से उसे विफल कर देना। अपने भीतर आने वाले क्रोध के कारण को ढूढकर, क्रोध से होने वाले अनर्थो बारे में सोचना और अपने क्रोध को क्षमारूपी अमृत पिलाकर अपने आपको और दूसरों को भी क्षमा की नजरों से देखना। अपने से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए खुद को क्षमा करना और दूसरे के प्रति भी इसी भाव को रखना इस पर्व का महत्व है।
उन्होंने कहा कि क्षमा पर्व मनाते समय अपने मन में छोटे बड़़े का भेदभाव न रखते हुए सभी से क्षमा माँगना इस पर्व का मूल उद्दे्य है। हम सब यह क्यों भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं और इंसानों से गलतियाँ हो जाना स्वाभाविक है। ये गलतियाँ या तो हमसे हमारी परिस्थितियँ करवाती हैं या अज्ञानतावश हो जाती हैं। तो ऐसी गलतियों पर न हमें दूसरों को सजा देने का हक है, न स्वयं को। यदि आपको संतुष्टि के लिए कुछ ‘देना है तो दीजिए ‘क्षमा’।
उत्तम क्षमा, सबको क्षमा, सबसे क्षमा
क्षमा करने से आप दोहरा लाभ लेते हैं। एक तो सामने वाले को आत्मग्लानि भाव से मुक्त करते हैं एवं दिलों की दूरियों को दूर कर सहज वातावरण का निर्माण करके उसके दिल में फिर से अपने लिए एक अच्छी जगह बना लेते हैं। तो आइए अभी भी देर नहीं हई है। इस क्षमावणी पर्व से खुद को तथा औरों को भी रोशनी का नया संकल्प का पाठ गढते हुए क्षमा पर्व का असली आनंद उठाए और खुद भी जीए और दूसरों को भी जीने देने के संकल्प पर चलते हुए क्षमापर्व का लाभ उठाएँ। “उत्तम क्षमा, सबको क्षमा, सबसे क्षमा”।
आज श्री शांतिनाथ जिनालय में शांति धारा कर्ता, प्रदीप कुमार अजीत कुमार आकाश अक्षय जैन, मनोज कुमार, अनिल कुमार, जय कुमार जैन परिवार के द्वारा तथा जैन भवन में प्रथम चार कलशों से अभिषेक करने का सौभाग्य सुनील कुमार, अनुभव, आदित्य, राहुल तनिष्क चौधरी, राजेंद्र समर्पण, अर्पण गदिया, निर्मल कुमार, अनिमेष, अखिलेश, अमित, अतुल नाहर परिवार को तथा शांतिधारा का सौभाग्य राहुल रोहित चौधरी परिवार जिनेंद्र कुमार, सुजय, आद्विक, आर्या जैन परिवार एवं दीप प्रज्वलन का सौभाग्य राजकुमार रवि कुमार, वीर, वीरा जैन (प्रिंस) परिवार को प्राप्त हुआ।
तत्पश्चात तेंदूखेड़ा मध्य प्रदेश से पधारे हुए शिवम जैन संगीतकार के द्वारा संगीत में पूजन संपन्न कराई गई। शाम को प्रिंस भैया के द्वारा प्रतिक्रमण कराया गया एवं उत्तम क्षमा धर्म के ऊपर प्रवचन कर सभी को धर्म लाभ दिया गया। उनके ही सानिध्य में पर्यूषण पर्व के समस्त कार्यक्रम संपन्न होंगे।
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