गोबर, बांस और मोती से बने आकर्षक राखियों से सजेगी भाईयों की कलाईयां , कीमते मात्र इतनी

गरियाबंद जिले की महिला समूहों को आकर्षक राखी निर्माण से मिली एक नई पहचान

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- 30 अगस्त को रक्षाबंधन के अवसर पर गरियाबंद जिले के स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर, बांस और मोती से निर्मित आकर्षक इको फ्रेंडली राखियां भाइयों की कलाईयों पर सजेगी। इसके लिए समूह की महिलाओं द्वारा जोर-शोर से राखियों के निर्माण लगी हुई है। राखियां निर्माण में जिला प्रशासन द्वारा विशेष रूप से मदद की जा रही है। ताकि उन्हें त्यौहार के सीजन में बाजार की उपलब्धता करा सके।

गरियाबंद जिला प्रशासन के अधिकारियों ने चर्चा के दौरान बताया कि पैरी बंधन के तहत व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत जिले की 13 महिला समूहों के द्वारा बांस की कलात्मक राखियां, गोबर, मोती, रत्नजड़ित राखियों का निर्माण किया जा रहा है। कलेक्टर  आकाश छिकारा के मार्गदर्शन में जिले के सभी विकासखण्डों में बड़े एवं बच्चों की कलात्मक पैरी राखियां का विविध कलाकृतियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर समूह द्वारा सुंदर, आकर्षक व पर्यावरण सुरक्षित राखियों का निर्माण किया जा रहा है। समूह की महिलाओं द्वारा अब तक 7000 राखी का निर्माण किया जा चुका है। 2,235 राखियाँ विक्रय कर 26 हजार 285 रूपये आय प्राप्त कर चुका है।

30 रूपये से लेकर 250 रूपये तक कीमत

समूह की दीदियां द्वारा राखी तैयार करने में अनाज, धान, चावल, दालों के अलावा कुमकुम, मौली धागा का उपयोग किया जा रहा है। समूह की दीदियों द्वारा बड़े पैमाने पर रत्नजड़ित मोती, गोबर, बांस से भी राखी बनाई जा रही है। इन राखियों की गरियाबंद सहित पद्रेश के अन्य जिलों में भी काफी मांग है। दीदियों ने इस साल लगभग 40 हजार राखियां तैयार करने का लक्ष्य रखा है। रक्षाबंधन के बाद भाई चाहें तो बीजों से बनी राखियों को गमले में लगा सकते है। इन बीजों से निकलने वाले पौधे लंबे समय तक भाई बहन के स्नेह के प्रतीक के रूप में दिखते रहेंगे। महिला स्व-सहायता समूहों को राखी तैयार करने से लेकर बाजार उपलब्ध कराने तक में जिला प्रशासन मदद कर रहा है। इन इको फ्रेंडली राखियों की कीमत 30 रूपये से लेकर 250 रूपये तक है।

बंधन नेह का, बहनों के स्नेह का, पुनीत बंधन, बढ़ेगा गौधन, आओ बच्चों बांधे, पैरी का पवित्र रक्षा सूत्र, बच्चों का हाथ, पैरी बन्धन के साथ, मोतियों से बंधा, पैरी का अटूट बंधन, रत्नों से जड़ा, पैरी का अटूट बंधन जैसे स्लोगन के साथ इस पैरी बंधन अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है। इन समस्त राखियों के विक्रय हेतु सी-मार्ट, जिला गरियाबंद को विक्रय केन्द्र बनाया गया है।

कलेक्टर छिकारा ने सी मार्ट पहुंचकर लड्डू गोपाल पोशाक  प्रदर्शनी और महिला समूहों द्वारा बनाई राखियों का किया अवलोकन

बेरोजगारी भत्ता के हितग्राही  प्रशिक्षण पाकर आकर्षक और रंग बिरंगी लड्डू गोपाल पोशाक बना रहे हैं। यह पोशाक आमजनों तक आसानी से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गरियाबंद शहर के सी मार्ट में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया है।

कलेक्टर आकाश छिकारा ने आज सी मार्ट पहुंचकर बेरोजगारी भत्ता के हितग्राहियों द्वारा लगाए गए लड्डू गोपाल पोशाक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। साथ ही लड्डू गोपाल पोशाक की खरीदी भी की। कलेक्टर ने आकर्षक और सुंदर पोशाक बनाने के लिए हितग्राहियों की प्रशंसा की। साथ ही हितग्राहियों को अच्छे काम करने और लगातार कौशल विकास करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। सी मार्ट में लड्डू गोपाल पोशाक आमजनों के खरीदी के लिए वाजिब दरों में उपलब्ध है।

सी मार्ट में जिले के रीपा में कार्यरत स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई रंग-बिरंगी राखियों को भी बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया है। इस दौरान कलेक्टर ने देशी राखियों का अवलोकन कर आमजनों को महिला समूह द्वारा बनाई राखियों की खरीदी करने की अपील की।

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