राम वनगमन पथ : 1312.49 लाख की राशि स्वीकृत, चालू होने से पहले ही स्थिति बदहाल, कई काम अब तक अधूरे

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) राजिम :- सरकारें आम लोगों के सुख सुविधाओं के लिए विकास कार्य और कई योजनायें लेकर आती है लेकिन सही तरीके से क्रियान्वयन और देखरेख नहीं होने के कारण उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता। ऐसे ही पिछले कांग्रेस की सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना राम वनगमन परिपथ निर्माण कार्य के तहत हरिहर की नगरी में त्रिवेणी संगम के तट पर निर्मित राम वनगमन पथ विकास कार्य की बदहाल स्थिति को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह अधिकारी और ठेकेदार मिलकर सरकारी खजाने को लूटने का कार्य करते है। ये पैसा जनता की गाढ़ी कमाई है जो विभिन्न टैक्स के रूप में सरकार विकास कार्यों के लिए लेती है। इससे न सिर्फ सरकार की छवि धूमिल होती है वरन टैक्सपेयर भी खुद को ठगा महसूस करता है।
क्या है योजना
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अक्टूबर 2019 में राम वनगमन पर्यटन परिपथ की घोषणा की थी। इस परियोजना के तहत छ.ग. के 75 स्थलों का विकास किया जाना था। जहाँ भगवान राम ने वनवास के दौरान भ्रमण किया था। 51 ऐसे स्थल है जहाँ भगवान श्रीराम ने कुछ समय बिताया था।
इस योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के प्रयाग कहे जाने वाले गरियाबंद जिले के राजिम में 1312.49 लाख की राशि इन विकास कार्यों के लिए स्वीकृत की गई थी। जिसके तहत भगवान श्रीराम की मूर्ति, राम वाटिका, दीप स्तंभ, जनसुविधा केन्द्र, भव्य प्रवेश द्वार, रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर, कैफेटेरिया, पर्यटन सूचना केन्द्र, बाउंड्रीवाल, विद्युतीकरण, प्लंबिंग कार्य, पब्लिक टॉयलेट एवं विभिन्न अधोसंरचना के विकास कार्य कराए जाने थे। जिससे पर्यटन परिपथ के माध्यम से राज्य में न केवल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिले, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन के नए वैश्विक अवसर भी बढ़ सके।
प्रभु श्रीराम की प्रतिमा
इस योजना के तहत राजिम में त्रिवेणी संगम तट पर बने प्रभु श्रीराम की प्रतिमा का लोकार्पण भूपेश बघेल ने 7 जनवरी 2023 को किया था। लोकार्पण के मात्र दो माह में ही इस प्रतिमा पर बड़ी बड़ी दरारें आ गई थी। इसकी गुणवत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ठेकेदार द्वारा किस तरह का घटिया निर्माण कार्य किया गया है।
उधार की बिजली से हो रहा रोशन
राम वाटिका तथा दीप स्तंभ में जो सजावट की गई है वो विद्युत सप्लाई के अभाव में अंधेरे में डूबा रहा बताया गया कि बिजली विभाग ने यहां की लाइन बिल के लटके भुगतान की वजह से काट दी है। जिसके बाद आनन फानन में पुरातत्व विभाग के मीटर से कनेक्शन लेकर काम चलाया जा रहा है। जिसमें आधा भाग ही रोशन होता है। मार्ग में सौंदर्यीकरण के लिए लगे सभी लाइटे बंद है जिससे मार्ग और तट अंधेरे में डूबा रहता है।
पूरी तरह से अंधेरे में डूबा टीआईसी
टीआईसी (पर्यटक सूचना केंद्र ) और कैफ़ेटेरिया के नाम से बने भवन का मात्र ढांचा खड़ा है। भवन के अंदर में विद्युतीकरण के नाम पर सिर्फ दो ट्यूब लाइट लटक रही है। पंखा, लाइट या अन्य किसी भी प्रकार के उपकरण यहाँ लगे ही नहीं है। जानकारी लेने पर पता चला कि यहां की भी लाइन कटी हुई है। यहां पूरी तरह से अंधेरे का राज कायम है। परिसर में चारों ओर गंदगी फैली रहती है। जानकारी के अनुसार यहां से बड़ी मात्रा में बर्तनों की चोरी भी हो चुकी है।
नहीं लगे सीढ़ियों में लाल पत्थर
सौंदर्यीकरण कार्य के तहत तट में बनी सीढ़ियों और फ्लोरिंग में लाल पत्थर लगाया जाना था जो कि अभी तक मात्र 25 प्रतिशत ही लग हुआ है और उसे भी आधा अधूरा छोड़ दिया गया है।
मेडिटेशन सेंटर आधा अधूरा
लोमश ऋषि आश्रम के पास बन रहा मेडिटेशन सेंटर का कार्य ठेकेदार और अधिकारियों की लापरवाही से आज तक अधूरा पड़ा है। इस तरह 1312.49 लाख की राशि स्वीकृति के बाद भी निर्माण कार्यों को आधा अधूरा छोड़ दिया गया है। जिससे अंचल सहित देश विदेश से राजिम आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। सुविधाओं की कमी के चलते आमजन सहित आने वाले पर्यटकों में भी इसका रोष देखा जा सकता है।
1312.49 लाख की राशि का निर्माण कार्य होने के बावजूद योजना के निर्माण से संबंधित जानकारी बोर्ड किसी भी जगह नहीं लगाया गया है जबकि शासकीय कार्यों में पारदर्शिता के लिए बोर्ड लगाना आवश्यक है। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन कार्यों में कितनी लापरवाही बरती गई है।
सार्वजनिक शौचालय रहता है बंद
पर्यटकों की सुविधा के लिए बनाए गए शौचालय साल के 350 दिन बंद रहते है। सिर्फ मेले के समय 15 दिनों के लिए खुलता हैं। जिससे पर्यटकों खासकर महिला वर्ग को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
निर्माण एजेंसी WAPCOS के एक अधिकारी अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि यह पर्यटन विभाग को हैंडओवर कर दिया गया है। ज्यादा जानकारी के लिए विभाग की नोडल ऑफिसर अनुराधा दुबे से संपर्क करें वे ही विस्तृत जानकारी दे पायेंगी। जब हमारे प्रतिनिधि ने अनुराधा दुबे से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। पेटी कॉन्ट्रैक्टर राम किशोर झा से भी हमारे प्रतिनिधि ने संपर्क किया तो फोन उठाकर काट दिया गया परंतु बात नहीं की।
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