अक्षय तृतीया पर गुड्डे-गुड़िया की ‘राजसी’ शादी, बना अनूठा सांस्कृतिक आयोजन, डीजे की धुन पर थिरके बाराती

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) किशन सिन्हा :– अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर छुरा ब्लाक के दुल्ला गांव में पारंपरिक गुड्डे-गुड़िया की शादी को इस बार अनोखे अंदाज में मनाया गया। यह आयोजन पूरे गांव के लिए न केवल मनोरंजन का अवसर बना, बल्कि एकजुटता, लोक संस्कृति और परंपरा के प्रति श्रद्धा का प्रतीक भी बन गया।
गांव बना बारात और घरातियों का मैदान
इस शादी में गांव को दो हिस्सों में बाँटा गया। एक ओर बारात पक्ष, तो दूसरी ओर घराती। दूल्हे को सजा धजा कर जब ट्रैक्टर पर बारात निकला, तो पूरा गांव उत्सव के रंग में रंग गया। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी पारंपरिक पोशाकों इस बारात में शामिल हुए। गांव में यह बारात देखकर हर घर की छतों और गलियों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। रस्म शादी की हर रस्महल्दी, मेहंदी, बारात, जयमाला और फेरे पूरे विधि-विधान और धूमधाम के साथ की गई। युवाओं ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर माहौल को और जीवंत बना दिया। डीजे की धुन पर छोटे-बड़े सभी उम्र के लोग जमकर झूमे। शादी में मौजूद सजावट, वेशभूषा और पारंपरिक संगीत ने पूरे आयोजन को एक राजसी रूप दे दिया।
कार्यक्रम में ग्राम पंचायत दुल्ला की सरपंच, ग्राम पटेल टेकचंद चंद्राकर, समिति अध्यक्ष विमल ठाकुर, लहरूराम, चपेश्वर ठाकुर, श्रीराम, नागेश, कोमल ध्रुव, कमल निषाद, भुवनेश्वर निषाद, पूर्व जिला पंचायत सदस्य केशरी ध्रुव सहित कई प्रमुख ग्रामीणजन और युवा साथी—तोषण, अशोक, ज्योति, मुस्कान, खुशबू, यमुना, तीन, तनु, प्रीति आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।
इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि यह गांव के एकता की मिसाल है। इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य केसरी ध्रुव ने कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है। यह आयोजन गांव की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है।”
एक दिन पहले कराया गया था मुनादी
कार्यक्रम से पहले गांव में मुनादी करवाई गई, जिससे हर परिवार इसमें भाग ले सका। शादी के समापन पर सामूहिक भोज का आयोजन हुआ, जहां पूरा गांव एक साथ बैठकर भोजन करता नजर आया। इस अनोखी और प्रेरणादायक शादी के बाद गांववासियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि हर वर्ष अक्षय तृतीया पर इसी उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। संस्कृति, परंपरा और एकता की अनूठी मिसाल दुल्ला गांव में गुड्डे-गुड़िया की यह शादी केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाला एक आयोजन बन चुकी है, जिसमें सभी वर्गों, उम्र और समुदाय के लोगों ने मिलकर भागीदारी निभाई और गांव को एक जीवंत सांस्कृतिक मंच बना दिया।
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