16 अगस्त शनिवार को मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, कई विशिष्ट महायोग में मनेगा पर्व

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। भारत सहित विदेशों में भी लोग इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाते है। इस दिन लोग व्रत रखकर और बिना व्रत के भी बड़े उल्लास के साथ भगवान श्री कृष्ण को पालना में पूजन अर्चन कर जन्मोत्सव मनाते है। इस बार 16 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।

श्रीकृष्ण भगवान का पूर्ण अवतार द्वापर युग में भादों मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी ,बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि के समय हुआ था, उस समय सूर्य वृषभ राशि में थे, युगों युगों के बीत जाने के बाद भी हम सभी उनका जन्मोत्सव आज भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ धूमधाम से मनाते हैं, यह कहना है नगर के ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री का।

उन्होंने बताया कि इस पर्व तिथि के निर्णय में तत्काल व्यापिनी तिथि को अधिक मान्यता प्राप्त है, जो कि 15 अगस्त को है। सप्तमी तिथि रात्रि 11:49 तक है, फिर अष्टमी तिथि लग रही है। किन्तु प्रामाणिकता के साथ विष्णु धर्मोत्तर शास्त्र, तिथि काल निर्णय ग्रन्थ और निर्णय सिंधु आदि ग्रंथों का आधार लिया जाए तो उनमें स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि सूर्योदय की सप्तमी विद्धा तिथि को त्याग कर नवमी विद्दा तिथि को ग्रहण करना चाहिए। उस मान से शनिवार 16 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना श्रेयस्कर होगा।

कई विशिष्ट महायोग में मनेगा पर्व

शास्त्री जी ने कहा कि भगवान की जन्मभूमि मथुरा में, कर्मभूमि द्वारिका में भी 16 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जावेगी, शनिवार के दिन पड़ने वाली यह जन्माष्टमी कई विशिष्ट महायोगों को लेकर आ रही है। इस दिन वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग व ज्वालामुखी योग भी बन रहे हैं। उन्होंने जोर देकर के कहा कि जन्माष्टमी का व्रत बच्चे, बूढ़े, जवान सभी स्त्री पुरुषों की करना चाहिए़।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करना असंख्य अश्वमेघ यज्ञों का फलदाता माना गया है। व्रत का पारणा दूसरे दिन रविवार को सूर्योदय के डेढ़ घंटे के बाद कर सकते है। उन्होंने कहा कि गीता के गायक, जगद्गुरु, गैया के चरैया, गोपियों के रसिया, बंशी बजैया और सुदर्शन लेकर दुष्टों का दलन करने वाले कृष्ण अपने हर रूप में सबके प्रिय , पूज्य और आराध्य हैं। 

देश और दुनिया सहित अंचल के श्री राजीव लोचन, श्री राधाकृष्ण एवं श्री सत्यनारायण मन्दिर सहित अन्य श्री कृष्ण मंदिरों में जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां जोर शोर से चल रही है। मंदिरों को तोरण पताका और रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जा रहा है। 

आरती श्री कृष्ण भगवान

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला ।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली ।

लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं ।

गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा ।

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

बज रही वृंदावन बेनू ।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,

चांदनी चंद,

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

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