नवापारा शराब दुकान के कर्मचारी ही अवैध शराब की तस्करी करते गिरफ्तार, क्या ऐसे रुकेगा ये अवैध कारोबार ?
आबकारी विभाग ने इस पर पहले कोई कार्यवाही क्यों नहीं की ?

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– नवापारा पुलिस ने अवैध शराब के साथ दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 144 क्वार्टर शराब और एक कार जब्त कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। आरोपियों के खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। पूरा मामला गोबरा नवापारा थाना क्षेत्र का है।
नवापारा थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार ऐसैय्या ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि दो व्यक्ति कार में शराब की तस्करी कर रहे हैं। सूचना के बाद पुलिस ने एक नीले रंग की मारुति वैगन आर कार क्रमांक सीजी 04 बी 5279 को घेराबंदी कर रोका और उसकी जांच की। इस दौरान कार में एक कार्टन रखा हुआ था। जिसमें 144 क्वार्टर सोल देसी शराब मसाला मिला। जिसकी कीमत करीब 14,400 रुपए है।
पूछताछ में आरोपियों ने अपना नाम मनोज टंडन (28 वर्ष) निवासी सत्यम चौक अभनपुर और लिखेंद्र सोनवानी (24 वर्ष) निवासी मौली माता चौक अभनपुर बताया। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 144 बोतल शराब और एक कार जब्त की है। आरोपियों के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।
ऐसे में कैसे रुकेगा ये अवैध कारोबार
जानकारी के अनुसार मनोज टंडन नवापारा के शराब दुकान में सुपरवाइजर का कार्य करता है वहीं लिखेंद्र सोनवानी वहाँ कर्मचारी के रूप में नियुक्त है। अब सवाल यह उठता है कि क्या कर्मचारियों द्वारा ही अवैध शराब में संलिप्तता पाए जाने से इस अवैध काम में रोक लगा पाना संभव होगा।
आबकारी विभाग ने इस पर पहले कोई कार्यवाही क्यों नहीं की ? जब शराब दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है तो इसकी मानीटरिंग क्यों नहीं की गई। क्या अधिकारी ही सरकारी शराब दुकान के अधिक मुनाफे को देखकर अवैध शराब बेचने से लेकर शराब कोचियों को खुली छूट दे रखी है या फिर आबकारी विभाग ने अवैध कारोबार को खुला संरक्षण दे रखा है।
नगर सहित आसपास के गांवों के गली- मोहल्ले में भी अवैध तरीके से खुलेआम शराब बेचने का सिलसिला लगातार जारी है। इसी तरह नगर से गुजरने वाले हाइवे पर स्थित ढाबों में भी अवैध तरीके से शराब बेचने व पिलाने का कारोबार किया जा रहा है। इसी मार्ग से अधिकारीयों का नियमित रूप से आना-जाना लगा रहता है फिर भी कोई कार्रवाही नही करते है। इन मार्गों पर पहले तो इक्का दुक्का ही दुकाने नजर आती थी लेकिन अधिकारियों की मौन सहमति से इनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है।
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