भेण्डरी में हो रहा हिंगलाज माता की झांकी का निर्माण : ग्रामीणों द्वारा तैयारी जोरो पर ,जानिए माता हिंगलाज का इतिहास
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) नवापारा:- ग्राम भेण्डरी बाजार चौक में शारदीय नवरात्रि की तैयारियां चल रही हैं। मैहर दुर्गा उत्सव समिति द्वारा शक्तिपीठ माता हिंगलाज देवी की झांकी की तैयारी जोरो शोरो से चल रही है। समिति के अध्यक्ष प्रहलाद ध्रुव, निर्देशक गैदलाल साहू, संरक्षक प्रीत राम देवांगन सरपंच ने बताया कि 1000 मीटर लंबाई-चौड़ाई पर इस झांकी का निर्माण किया जा रहा है और यह निर्माण कार्य ग्रामवासीयो के सहयोग से हो रहा हैं।
मंदिर में रंग रोगन व सजावट का कार्य चल रहा है। मंदिर के गुम्बद को सुसज्जित किया जा रहा है। साथ ही कई देवी-देवताओं की मूर्तियों का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है। ग्रामीणों द्वारा देर रात तक भी निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है । समिति के संरक्षक संतोष पूरण लालवानी ने बताया कि माता के विभिन्न दर्शनीय स्थलों का झांकी के माध्यम से दर्शन होगा साथ ही माता दुर्गा की अखंड ज्योत भी जलाई जाएगी ।
कई झांकी का निर्माण किया जा चुका है
मैहर दुर्गा उत्सव समिति द्वारा इसके पूर्व में मैहर की शारदा भवानी , वैष्णो देवी, चारोधाम , बर्फानी बाबा और अंतिम वर्ष मे नैना देवी झांकी का निर्माण किया जा चुका है जो काफी प्रसिद्ध हुआ । इस बार लोगों की मांग को देखते हुए समिति द्वारा 51 शक्तिपीठ में से एक शक्ति पीठ है हिंगलाज माता जो पाकिस्तान में विराजित हिंदुओं की पवित्र स्थली है, उसकी जीवंत झांकी का निर्माण हो रहा है।
51 शक्तिपीठों में से एक है हिंगुला देवी
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित हिंगलाज माता मन्दिर एक पवित्र हिंदू मंदिर है। पौराणिक कथाओ के अनुसार माता सती का सिर यहॉ गिरा था । तब से यह 51 शक्तिपीठों में से एक है जो हिंदू देवी सती को समर्पित हैं।शिव पुराण , देवी भगवती पुराण मे इस शक्ति पीठ का वर्णन मिलता है । इस देवी को हिंगुला देवी या हिंगलाज देवी भी कहा जाता है। नानी मन्दिर भी इसका ही नाम है। पिछले 30 वर्षों में, यह स्थान बहुत लोकप्रिय हो गया है और पाकिस्तान के कई हिंदू समुदायों के लिए एक आस्था का प्रमुख स्थान बन गया है।
हिंगलाज के आसपास है कई पूज्य स्थान
समिति के लोगों ने बताया कि मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में है। जहां एक पत्थर की देवी है। देवी का कोई चित्र मानव निर्मित नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के रूप मे पूजा की जाती है। यह आज हिंगलाज के नाम से जाना जाता है। हिंगलाज के आसपास कई पूज्य स्थान हैं, जिनमें गणेश देव, माता काली, गुरु गोरख नाथ दूनी, ब्रह्म कुण्ड, तिर कुण्ड, गुरुनानक खाराओ, रामझरोखा बेठक, चोरसी पर्वत पर अनिल कुंड, चंद्र गोप, खारिवर और अघोर पूजा शामिल है।
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