गरियाबंद फास्ट ट्रैक कोर्ट में पॉक्सो एक्ट के तहत हुई कार्यवाही, आरोपी को आजीवन कारावास की हुई सजा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– गरियाबंद जिले के विशेष न्यायालय ने नाबालिक से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 40 वर्षीय आरोपी ने मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग के साथ दुष्कर्म के घटना को अंजाम दिया था। विचारण उपरांत न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया।
जानकारी के अनुसार पीड़िता की बहन ने लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि घटना समय सुबह 10:00 बजे वह पड़ोस में गयी हुई थी और उसकी मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग छोटी बहन घर में अकेली थी। अपनी नाबालिग बहन के रोने की आवाज सुनकर वह घर आकर देखी तो आरोपी संतराम देवदास उसकी बहन के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म कर रहा था।
घटना के संबंध में थाना द्वारा अपराध दर्ज कर आरोपी के विरूद्ध धारा 450, 376 (2) (ठ), 376 (क) (ख) भादंवि तथा धारा 06 पॉक्सो एक्ट के तहत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।
न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक विशेष न्यायालय (पॉक्सो एवं बलात्कार मामले) गरियाबंद के पीठासीन न्यायाधीश यशवंत वासनीकर द्वारा नाबालिक पीड़िता को घर में अकेली पाकर उसके साथ जबरदस्ती दुष्कर्म करने वाले आरोपी संतराम देवदास पिता ओंकार देवदास उम्र लगभग 40 वर्ष, निवासी वार्ड नंबर-04, शारदा चौक, गरियाबंद थाना व जिला-गरियाबंद (छ.ग.) को आजीवन कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया हैं। अभियोजन की ओर से उक्त अपराध को प्रमाणित करने अपने पक्ष समर्थन में कुल 13 साक्षियों का कथन कराया गया।
प्राकृतिक जीवन काल के लिए कारावास के साथ अर्थदंड
प्रकरण के संबंध में विशेष लोक अभियोजक एच.एन. त्रिवेदी ने बताया कि विशेष न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर द्वारा उक्त प्रकरण में आरोपी द्वारा मानसिक व शारीरिक निःशक्तता से ग्रसित नाबालिग बालिका के साथ घर में घुसकर दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध किया जाना प्रमाणित पाया तथा आरोपी के इस कृत्य को सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाला गंभीर प्रकृति का अपराध मानते हुए आरोपी संतराम देवदास को दोषसिद्ध पाया गया।
आरोपी को भादंवि की धारा 376 (2) (ठ) के तहत् आजीवन कारावास; जो कि आरोपी के शेष प्राकृतिक जीवन काल के लिए कारावास से अभिप्रेत होगा एवं 2,000रू. (दो हजार रूपयें) का अर्थदण्ड, धारा 450 के तहत् 05 (पाँच वर्ष) का सश्रम कारावास एवं 1000 रू. (एक हजार रूपयें) का अर्थदण्ड तथा पॉक्सो एक्ट की धारा-06 के तहत् 20वर्ष (बीस वर्ष) का सश्रम कारावास एवं 2,000 रू. (दो हजार रूपये) के अर्थदंड से दंडित किया गया हैं।
पीड़िता को 5 लाख सहायता राशि
इसके अलावा न्यायाधीश द्वारा पीड़ित बालिका के साथ हुई उक्त घटना से होने वाले शारीरिक व मानसिक पीड़ा तथा उसके जीवन व मनोदशा पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों पर विचार कर पीड़िता को प्रतिकर स्वरूप 5,00,000 रू. (पाँच लाख रूपयें) दिलाये जाने का जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर को नियमानुसार कार्यवाही करते हुए उक्त प्रतिकर राशि प्रदाय किये जाने हेतु निर्देशित किया गया हैं।
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