108 कुंडीय विराट गायत्री महायज्ञ : उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब, प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र, सवा लाख दीपों से परिसर हुआ जगमग
डॉ. चिन्मय पंड्या का संदेश श्रोताओं के लिए आत्म-बोध और आंतरिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करने वाला था

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- नवापारा नगर के हरिहर हाई स्कूल मैदान में 05 जनवरी से 08 जनवरी तक आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में परम पूज्य गुरुदेव के जीवन दर्शन से जुड़ी चित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। जो श्रद्धालुओं के प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यज्ञशाला के ठीक सामने गुरुसत्ता के प्रतीक स्वरुप सजल श्रद्धा-प्रखर प्रज्ञा, पर्वत शृंखला, 24 गायों की अनूठी गौशाला आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यज्ञ स्थल पर पूरे समर्पण के साथ स्वयंसेवी परिजन श्रमदान, समयदान करते हुए सतत यज्ञीय कार्य में लगे हुए हैं। कार्यक्रम स्थल को स्वर्ग जैसा सुंदर और पवित्र बनाने में गायत्री परिजन पूर्ण समर्पण के साथ लगे हुए है।
कई स्वयंसेवी सुरक्षा ड्यूटी में तैनात है जिनके द्वारा मंच, यज्ञशाला, प्रदर्शनी, भोजनालय, पार्किंग समेत समूचे कार्यक्रम स्थल की चौबीस घंटे सुरक्षा की जा रही है। साथ ही 108 यज्ञकुण्डों में लगभग माताएं बहनें सतत कार्यरत हैं जो यज्ञ हवन की शुरुआत से लेकर पूर्णाहुति तक यज्ञशाला की समुचित व्यवस्था देख रही है।

नगर सहित अंचल से आए परिजनों की टीम माता अन्नपूर्णा भोजनालय में सतत कार्य कर रही है। सभी आगंतुकों के लिए माता अन्नपूर्णा भोजनालय में भोजन प्रसाद की व्यवस्था यज्ञ समिति द्वारा की गई है। इसके अलावा आगंतुकों के लिए आवास की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। नगरवासियों का भी उक्त यज्ञीय कार्यक्रम में भरपूर सहयोग मिल रहा है। गायत्री परिवार के अनुशासित, वैदिक कार्यक्रम से हर कोई प्रभावित होकर इसकी सराहना कर रहे हैं।

डॉ. चिन्मय पंड्या हुए सम्मिलित
नगर में आयोजित 108 कुंडीय विराट गायत्री महायज्ञ के द्वितीय दिवस अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज, हरिद्वार के वरिष्ठ डॉ. चिन्मय पंड्या इस भव्य आयोजन में सम्मिलित हुए। मंच पर जाने से पूर्व उन्होंने महायज्ञ स्थल पर स्थापित माँ गायत्री की मूर्ति और प्रखर-प्रज्ञा, सजल-श्रद्धा पर पुष्प चढ़ाकर नमन वंदन किया एवं गायत्री महामंत्र के 24 सूत्रों का प्रतिनिधित्व करतीं हुईं 24 गायों की अनूठी गौशाला के दर्शन भी किये। इसके बाद ध्वजारोहण कर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।
मानवता की सेवा करें
अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में डॉ. पंड्या ने यज्ञ की महत्ता और मानव जीवन में संस्कारों की आवश्यकता पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन का असली उद्देश्य भीतर स्थित देवत्व का जागरण करना है। हम सभी के भीतर देवत्व का बीज विद्यमान है, जिसे जगाने के लिए हमें प्रयासरत रहना चाहिए।
उन्होंने परम पूज्य गुरुदेव का यह संदेश साझा किया कि मनुष्य भटका हुआ देवता है, और उसकी वास्तविकता तभी प्रकट होती है जब वह अपने भीतर की अपार संभावनाओं को जागृत करता है। जीवन का सही उद्देश्य यही है कि श्रेष्ठ मार्ग पर चलते हुए पीड़ित मानवता की सेवा करें और चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए एक आदर्श नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। उन्होंने बताया कि मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण तभी संभव है, जब हम अपने कर्म और संकल्प को उच्चतर उद्देश्यों से जोड़ें। उनका यह संदेश श्रोताओं के लिए आत्म-बोध और आंतरिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करने वाला था।
तृतीय दिवस सवा लाख दीपों से विराट दीपयज्ञ
गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन प्रातः काल वेदिय पूजन के साथ अग्नि स्थापना की गई। ज्योंही आहुतियों का क्रम प्रारंभ हुआ हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं के मध्य स्वाहा की पवित्र सामूहिक ध्वनि से सारा यज्ञ पंडाल गूंज उठा। महा गायत्री मंत्र सूर्य देव एवं महामृत्युंजय मंत्र की आहूतियों का क्रम अनेक पारियों में चला जिसकी पूर्णाहूति दोपहर एक बजे संपन्न हुई।

शांतिकुंज हरिद्वार से आई टोली ने देव मंच से सभी देवी-देवताओं एवं ऋषि-महर्षियों का आह्वान किया। वेद मंत्रों के साथ यज्ञ प्रक्रिया को दीक्षित करने के क्रम में सबसे पहले आठ कोण तथा आकाश व पृथ्वी तत्व का पूजन संपन्न हुआ। मंडप के चारों दिषाओं में स्थापित तत्ववेदियों का भी साधकों द्वारा जोड़े के साथ विधिविधान से पूजन करवाया गया। साथ ही पंचतत्व की पूजा विधि भी संपन्न हुई। सप्तर्षियों एवं 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान कर श्रद्धालुओं से साथ वेद मंत्रों से पूजा- अर्चना करवाई। नव ग्रहों को यज्ञ मंडप में स्थापित किया गया।

वहीं सायंकाल विराट दीपयज्ञ का आयोजन किया गया। देवकन्याओं और मातृशक्तियों द्वारा ओम, स्वास्तिक, मशाल एवं अलग अलग प्रतीक के रुप में सजे सवालाख दीप प्रज्जवलित किए। पूरे यज्ञ पण्डाल में दीपों की झिलमिलाती रोशनी आकर्षण का केंद्र रही।

शांतिकुंज हरिद्वार से आए टोली नायक परमेश्वर साहू ने कहा कि यज्ञ से सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को पोषण मिलता है। वहीं यज्ञीय ऊर्जा से जीवाणुओं, विषाणुओं का शमन और जीवनी शक्ति का संवर्धन होता है। बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार दें और उनकी अद्भुत योग्यताओं और क्षमताओं को व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण में लगायें।


आज समापन
यज्ञ संचालन समिति ने बताया कि तीसरे दिन यज्ञ के साथ गुरुदिक्षा, पुंसवन, नामकरण, विद्यारंभ, अन्नप्राषन, यज्ञोपवित इत्यादि संस्कार भी करवाया गया। आज 8 जनवरी को महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी एवं इसके उपरांत महाभण्डारे का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद इस आयोजन का समापन किया जाएगा।
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