शताब्दी वर्ष पर संघ का निकला पथ संचलन, एक साथ चार स्थानों पर हुआ भव्य कार्यक्रम, भारत माता की जयकारों से गूंजीं गलियां

स्वयंसेवकों ने लिया उत्साह से भाग

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) नवापारा :– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर नवापारा नगर की चार बस्तियों में एक साथ पथ संचलन निकाला गया, जिसमें स्वयंसेवकों ने बहुत ही उत्साह से भाग लिया। इस दौरान नवापारा की गलियां भारत माता की जयकारों से गूंजीं उठी। नगरवासियों द्वारा पथ संचलन का नगर में जगह जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। नगर की बस्ती क्रमांक दो में यह आयोजन सामुदायिक भवन नेहरू गार्डन के पास संपन्न हुआ।

सामुदायिक भवन में प्रातः 10.30 को सम्पन्न हुआ। स्वयंसेवकों ने ध्वज प्रणाम कर प्रार्थना की पश्चात संचलन सामुदायिक भवन से निकल कर पुराना बस स्टैंड, सदर रोड, पंजवानी चौक, गंज रोड, महावीर चौक से होकर गांधी चौक, रेखराज मंदिर से होते हुए पुनः सामुदायिक भवन पहुंची। ध्वज वाहक मनीष जैन, ध्वज रक्षक के रूप में ओम प्रकाश वर्मा, वीरेंद्र साहू, सोहन साहू और किशोर देवांगन रहे। संचलन में कुल 48 पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इस दौरान जगह जगह मां भारती के वीर सपूतों का नगर के लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।

सामुदायिक भवन में मंचीय कार्यक्रम की श्रृंखला में अतिथियों का बौद्धिक हुआ। मंच पर नगर संघचालक सनत चौधरी, वक्ता के रूप में प्रांत संगठन मंत्री सक्षम रामजी रजवाड़े, अध्यक्षता ओम प्रकाश वर्मा ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में ओम प्रकाश वर्मा ने कहा कि जब तक हमारा सांस्कृतिक उत्थान नहीं होगा तब तक हम अपने राष्ट्र की एकता को अक्षुण्ण नहीं रख सकते। हमें आजादी तो मिल जाएगी लेकिन ये आजादी राजनीतिक और आर्थिक आजादी हो सकती है। सांस्कृतिक आजादी के लिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना आवश्यक है। हमारी प्राचीन गुरुकुल की परंपरा, सांस्कृतिक शिक्षा, महापुरुषों के बताएं मार्ग पर चलकर ही हम एकजुट रह सकते हैं और अपनी अस्मिता, अखंडता और एकता को बनाए रख सकते हैं।

हिंदू समाज को निशाना बनाया जा रहा

इस दृष्टि से डॉक्टर हेडगेवार जी ने बहुत ही दूर दृष्टि के साथ 1925 में नागपुर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक की स्थापना की। कालांतर में संघ पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध 1948 में लगाए गए। 1975 के आपातकाल में भी प्रतिबंध लगा। जैसा कि हम संचलन के समय एक गीत दोहरा रहे थे चहुं ओर से शत्रु दन दाना रहे हैं। जब हम दुनिया के परिप्रेक्ष्य में देखते हैं तो चाहे वह रूस, यूक्रेन हो चाहे अमेरिका हो, चाहे सीरिया हो, चाहे कनाडा के खालिस्तानी हो कमांडो फोर्स के नाम से भारत को विघटित करने के लिए विघटनकारी तत्व लगातार चारों तरफ से षड्यंत्र कर रहे हैं।

अखबारों में हम रोज पढ़ते हैं कहीं संचलन निकल रहा है, कहीं हमारी आराध्य मां दुर्गा का विसर्जन का जुलूस निकल रहा हो हर जगह हिंदू समाज को निशाना बनाया जा रहा है, हिंदू समाज को उकसाया जा रहा है, किसी तरह से हिंदू समाज प्रतिक्रिया करें और हिंसा का वातावरण बने। भारत का जो विकसित भारत का स्वप्न के साथ देश का नेतृत्व जो है ऐसा कहा जा सकता है कि 75 साल की आजादी के बाद 2014 में पहली बार ऐसा लगता है की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा को लेकर कोई सरकार काम कर रही है। इस दृष्टि से भी निश्चित रूप से हम सभी को एकजुट होना है।

शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र का उपयोग भी जरूरी

समाज को एकजुट इसलिए नहीं होना है कि हमको किसी पर विजय प्राप्त करनी है, बल्कि इसलिए एकजुट होना है स्व की प्रेरणा के साथ, स्वदेश, स्वयं की संस्कृति और राइजिंग ऑफ ओल्डेस्ट सिविलाइजेशन का दौर है। मतलब दुनिया की सबसे प्राचीनतम सभ्यता अपने पुनः उदय की ओर बढ़ रही है। इसलिए इस शताब्दी वर्ष में न केवल भारत बल्कि विश्व में जो भी हिंदू समाज रहता है हिंदू जीवन पद्धति को समझता है वही जानता है। जितने भी हिंसा के दौर चल रहे हैं विदेश में उन सब का एक ही मार्ग है भगवान महावीर स्वामी का अहिंसा का रास्ता, शांति का रास्ता। भगवान श्री कृष्ण ने जो अर्जुन को शिक्षा दी है कि शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र का उपयोग भी जरूरी है।

आत्मरक्षा के लिए, अपनी संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए विश्व पटल पर जो चुनौतियां हैं संक्षिप्त में उन चीजों को देखते हुए हमारे समाज को एकजुट होना है। स्व की रक्षा के लिए, राष्ट्र की रक्षा के लिए, अपने देश की संस्कृति की रक्षा के लिए हम सबको एक जुट रहकर सामना करना है। ताकि भारत मां परम वैभव के शिखर पर पहुंचे। विश्व गुरु के रूप में विश्व को मार्गदर्शन करें और वह तस्वीर हमको दिखने लगी है है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में जागरण के लिए पांच परिवर्तन का आह्वान किया है।

हम सभी को सहभागी होना है

समाज में जागरूकता लाने, परिवर्तन लाने के लिए पहला कुटुंब प्रबोधन दूसरा सामाजिक समरसता जिसमें पूजनीय सर संघचालक जी ने कहा है की सभी के लिए एक मंदिर, एक कुआं और एक शमशान होना चाहिए तभी हम छुआछूत और जातिवाद के भेद से हम ऊपर उठ पाएंगे। तीसरा पर्यावरण की रक्षा के प्रति सजगता चौथा स्वदेशी से आत्मनिर्भरता और पांचवा नागरिक कर्तव्य का बोध इन पांच परिवर्तनों के माध्यम से संघ ने शताब्दी वर्ष में समाज जागरण का अभियान प्रारंभ किया है जिसमें हम सभी को सहभागी होना है।

बौद्धिक कार्यक्रम में मनमोहन अग्रवाल, गिरधारी अग्रवाल, हेमराज पारख, विजय गोयल, संजय सिंघई, आशीष जैन, सहदेव कंसारी, योगिता सिन्हा, पूजा सायरानी, हर्षा कंसारी, राखी इसरानी, मनीषा अठवानी, राधिका यशवानी, जीना निषाद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और मातृ शक्ति उपस्थित रही।

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