महालक्ष्मी पूजन 2025: कब करें पूजन, 20 या 21 अक्टूबर? जानिए सही तिथि और शुभ मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन की सही तिथि पर मचा भ्रम, पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री बोले - दोनों ही शास्त्र सम्मत

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– विगत कुछ वर्षों से त्योहारों में तिथि भ्रम के कारण पर्वों को दो दो दिनों तक मनाने की स्थितियां बन रही है, जिसके कारण आम जनमानस असमंजस की स्थिति में पड़ जाता है। लोग पंडितों की राय जानना चाहते हैं, पूरे देश में चर्चाएं छिड़ जाती है। 

इसी तरह आगामी त्योहार दीपावली को लेकर विगत दिनों काशी के विद्वत जनों एवं उज्जैन के आचार्यों का अभिमत आया था कि 20 अक्टूबर सोमवार को दीपावली महालक्ष्मी पूजन करना श्रेयस्कर होगा, क्योंकि प्रदोष और निशीथ काल इसी रात को मिल रहा है, दीपावली निशीथ काल का पर्व है। 

वहीं इस विषय में नगर के ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने स्पष्ट किया कि धर्मसिंधु, निर्णय सागर और व्रत परिचय में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि पहले दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या हो और दूसरे दिन अमावस्या साढ़े तीन प्रहर तक हो तो दूसरे दिन की प्रतिपदा युक्त अमावस्या को ग्रहण करना चाहिए। इसे बड़ा शुभ संयोग माना गया है।  मंगलवार की अमावस्या मंगलकारी होती है। मंगलवार को सूर्योदय भी अमावस्या तिथि में हुआ है और सूर्यास्त शाम को 5.31 पर हो रहा है, तब भी अमावस्या है और अमावस्या उस दिन शाम को 5 बजकर 54 मिनट तक है। इसलिए हमारे देव पंचांग ने भी 21 अक्टूबर मंगलवार को ही दीपावली महालक्ष्मी पूजन करने के लिए लिखा है, जो तर्क सम्मत है।

दीपावली 21 अक्टूबर को मनाएं

उन्होंने जोर देकर कहा कि राजिम नवापारा सहित समूचे छत्तीसगढ़ में 21 अक्टूबर मंगलवार को ही दीपावली मनाई जाएगी। हमारे छत्तीसगढ़ के लब्धप्रतिष्ठित देव पंचांग जो कि राजधानी रायपुर से पिछले सवा सौ साल से प्रकाशित हो रहा है, उसमें भी मंगलवार को ही दीपावली मनाए जाने की बात लिखी हुई है। 

पंचांग के अवलोकन से स्पष्ट है कि सोमवार को सूर्योदय चतुर्दशी तिथि में हो रहा है, जो कि शाम को 3 बजकर 45 मिनट तक है। विष्णुप्रिया महालक्ष्मी जी हैं और श्री हरि लक्ष्मी नारायण हैं, हम वैष्णव जन है। हम सूर्योदय की उदिया तिथि को महत्व देते हैं जो कि मंगलवार को है। मंगलवार को सूर्योदय सुबह 6.5 पर अमावस्या तिथि में हो रहा है।  इसलिए दीपावली 21 अक्टूबर को मनाएं, यही श्रेयस्कर होगा। रायपुर के प्राचीन दूधाधारी मठ व राजिम के राजीवलोचन मंदिर में भी 21 अक्टूबर को दीपावली लक्ष्मी पूजा करने का निर्णय हुआ है।

इस तरह धनतेरस 18 अक्टूबर शनिवार को, इस दिन धन्वंतरि जयंती मनाई जाती है। यम के निमित्त दीपदान भी किया जाता है। 19 अक्टूबर रविवार को श्री हनुमदजनमोत्सव है। 20 को नर्क चतुर्दशी, रूप चौदस है। 21 अक्टूबर को महालक्ष्मी पूजन, 22अक्टूबर को अन्नकूट, गोवर्धन पूजा व 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।

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