तूंहर टोकन एप से किसान परेशान, मोबाइल प्रक्रिया और सीमित स्लॉट के कारण रोजाना संघर्ष, कैसे कटे टोकन

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– धान खरीदी प्रक्रिया को डिजिटल करने के उद्देश्य से लागू किए गए “तूंहर टोकन एप” ने किसानों को राहत देने के बजाय परेशानी में डाल दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 90 प्रतिशत किसान मोबाइल प्रक्रिया से अनजान हैं, और उनमें से कई के पास स्मार्टफोन नहीं है या इंटरनेट की सुविधा कमजोर है। सुबह 8 बजे टोकन खुलते ही किसान अपने मोबाइल में जुट जाते हैं, लेकिन कुछ ही मिनटों में स्लॉट फुल हो जाता है।

किसानों का कहना है कि सरकार ने ऐप लॉन्च तो कर दिया, परंतु ग्रामीण वास्तविकताओं को ध्यान में नहीं रखा। खराब नेटवर्क, ऐप की तकनीकी दिक्कतें और सीमित टोकन ने किसान समुदाय में नाराजगी बढ़ा दी है। जहाँ धान बेचने की तैयारी पूरी हो चुकी है, वहीं टोकन न मिलने से किसान चिंतित और असहज महसूस कर रहे हैं। किसान लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द समाधान निकाले ताकि खरीदी प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके और किसानों को लंबी प्रतीक्षा और तकनीकी परेशानियों का सामना न करना पड़े।

अनजान-किसान धैर्यवान

छत्तीसगढ़ राज्य के किसान देश में सबसे धैर्यवान होते हुए भी सरकार के द्वारा अभी समर्थन मुल्य में धान खरीदी के चलते परेशान नजर आ रहे हैं। चुंकि राज्य की विष्णु देव सरकार के द्वारा किसानों के हित में तूंहर टोकन एप लांच कर किसानों के हाथ में दिया गया है जिसके चलते रोज सुबह 8बजे सोमवार से शुक्रवार तक आम किसान का क्या कहें 15 नवम्बर से मोबाइल प्रक्रिया से अनजान पढ़े लिखे किसान भी परेशान हैं। उक्त बातें भाजपा नेता और जौन्दी के किसान टीकम चन्द साहू ने कही ।

उन्होंने बताया कि सुबह आठ बजे सब किसान अपने अपने मोबाइल में डटे रहते हैं जबकि नब्बे फीसदी किसान मोबाइल प्रक्रिया से अनजान हैं और उपर से खरीदी की लिमिट कम कर देने से 5 से 10 मिनट में ही आनलाइन कोटा समाप्त हो जाता था। 70 प्रतिशत आनलाइन किसानों को जबकि 30 प्रतिशत आफलाईन सोसायटी को दिया गया है।

फिलहाल धान खरीदी में राज्य सरकार के आदेश उपरान्त लिमिट बढ़ा दी गई है और जहां कल तक धान खरीदी केंद्र में 800 किंवटल खरीदी होती थी आज से 1300 किंवटल खरीदी की जाएगी। जिससे किसानों को सहुलियत होगी। केन्द्र की मोदी सरकार और राज्य विष्णु देव सरकार किसानों को हाईटेक बनाना चाहती है और प्रत्येक फैसला किसानों के हित में लेती है।

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