प्रोजेक्ट रचना: कचरे से कौशल तक, कबाड़ को संवारने के स्किल से खोजे क्रिएटिविटी और कमाई के अवसर

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– गलियों में प्रचार और सूचना के लिए टंगी फ्लेक्स शीट्स समय के साथ उतरकर कोनों में जमा हो जाती थीं। फीकी, मुड़ी-तुड़ी, जिन पर नज़र भी नहीं रुकती थी, आज वही आईटीआई सड्डू की कक्षाओं में नई उम्मीदों और नए कौशल का साधन बन चुकी हैं। नगर निगम रायपुर, जिला प्रशासन रायपुर और आईटीआई सड्डू के अभिनव प्रयास प्रोजेक्ट ‘रचना’ ने कचरे को संसाधन और प्रशिक्षण के स्त्रोत में बदल देने की अद्भुत यात्रा शुरू की है।

छात्रों के हाथों में जब वही पुरानी फ्लेक्स आई, तो उन्होंने उसे ‘पुराना’ नहीं, बल्कि सृजनात्मकता सीखने और समझने का मौका समझा। फ्लेक्स की कपड़े वाली सतह स्टिचिंग के लिए और उसका धातु फ्रेम वेल्डिंग अभ्यास के लिए प्रयोग किया जाने लगा। और यही वह मोड़ था जहां फेंकी हुई सामग्री रचना ब्रांड के रूप में चमक उठी।
कुछ ही सप्ताह में सड्डू आई.टी.आई. के विद्यार्थियों ने 2000 से अधिक उपयोगी वस्तुएं – चटाइयाँ, बोतल कवर, कैरी बैग, कंप्यूटर कवर, सिलाई मशीन कवर इत्यादि तैयार कर डालीं। और हर वस्तु पर उकेरा गया ब्रांड नाम ‘रचना’ सिर्फ शब्द नहीं, उनके आत्मविश्वास की पहचान है।

कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह के मार्गदर्शन में शुरू हुए ‘प्रोजेक्ट रचना’ का उद्देश्य था छात्रों के अंदर की रचनात्मकता को बढ़ावा देना। उन्होंने कहा कि, “मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के नवाचार में क्रिएटिविटी लाने पर हमेशा ज़ोर दिया है। रचनात्मकता तब सच्ची होती है, जब वह समाज के लिए उपयोगी बन सके, और बेकार समझी जाने वाली चीजें भी किसी का भविष्य बनाने में सहायक हो सकें।”

नया सोचने की दृष्टि

आईटीआई सड्डू के प्राचार्य नरेंद्र उपाध्याय बताते हैं, “हम पहले कच्चा माल खरीदने पर हर महीने 25–30 हजार रुपये खर्च कर देते थे। अब वही सामग्री हमें बिना खर्च किये मिल रही है जिससे हम सीख भी रहे हैं और चीजें बना भी रहे हैं। बच्चों को समझ आ रहा है कि शिल्प सिर्फ कौशल नहीं, नया सोचने की दृष्टि भी है।”

रायपुर ज़िला प्रशासन भी इस मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है एवं विभिन्न विभागों द्वारा ‘रचना’ में निर्मित वस्तुएं कार्यालयीन उपयोग हेतु खरीदी जा रही हैं। आज जब आंगनबाड़ी के बच्चों के हाथों में उनकी नई रचना चटाई और बोतल कवर पहुँचे, तो उनकी चमकती आँखें किसी भी रिपोर्ट का सबसे सजीव प्रमाण बन गईं। छोटे-छोटे हाथ सामान पकड़ते ही खिल उठे, “ये हमारी नई चटाई है… रचना वाली!” और उनके चेहरों पर जो गर्व था, वही इस परियोजना का सबसे खूबसूरत परिणाम है।

वस्तुओं की उपयोगिता देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने आई.टी.आई सड्डू को 1000 चटाई एवं कवर का ऑर्डर देकर न केवल विद्यार्थियों के काम को प्रोत्साहित कर रहे हैं बल्कि उन्हें यह अहसास भी दे रहे हैं कि उनकी मेहनत लोगों के जीवन का हिस्सा बन रही है।

प्रोजेक्ट रचना ने रायपुर के युवाओं को सिर्फ कौशल नहीं दिया, बल्कि यह भी सिखाया कि परिवर्तन हमेशा बड़े बजटों से नहीं, नई दृष्टि से शुरू होता है। पुराने फ्लेक्स अब सिर्फ बैग, चटाई या कवर नहीं हैं, वे इस शहर में उभरती नई पीढ़ी की स्वाभिमान, कला और जिम्मेदारी के प्रतीक हैं।

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