छुरा ब्रेकिंग: 08 किलो गांजे के साथ आरोपी गिरफ्तार, पुलिस ने घेराबंदी कर पकड़ा आरोपी, लेकिन नशे पर सवाल अब भी बरकरार

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) किशन सिन्हा:– गरियाबंद जिले में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान के तहत गरियाबंद पुलिस और स्पेशल टीम ने सफलता हासिल की है। पुलिस ने एक युवक को 08 किलो 441 ग्राम गांजा के साथ गिरफ्तार किया है, जिसकी कुल अनुमानित कीमत ₹87,410 बताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार, गरियाबंद जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देशानुसार समस्त थाना क्षेत्रों में अवैध गांजा तस्करी पर रोक लगाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में दिनांक 09 जुलाई 2025 को छुरा थाना प्रभारी को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि एक व्यक्ति भारी मात्रा में गांजा लेकर पैदल खरखरा जंगल की ओर जा रहा है।
सूचना को गंभीरता से लेते हुए थाना छुरा और स्पेशल टीम गरियाबंद संयुक्त रूप से मौके पर पहुंची। पण्डरीपानी डीह- खरखरा रोड पर नाकाबंदी कर मुखबिर के बताए हुलिए वाले युवक को रोका गया। तलाशी लेने पर उसके पास काले बैग में 08 नग पैकेट प्लास्टिक और सेलोटेप से लिपटे हुए पाए गए, जिनमें कुल 08 किलो 441 ग्राम गांजा बरामद किया गया।
पुलिस ने आरोपी जगदीश प्रधान, उम्र 27 वर्ष, निवासी पण्डरीपानी, थाना छुरा को मौके से गिरफ्तार किया। आरोपी के पास से एक रियलमी नारजो मोबाइल फोन (कीमत ₹3,000) और मादक पदार्थ (कीमत ₹84,410) सहित कुल ₹87,410 मूल्य की सामग्री जब्त की गई। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध धारा 20 (ख) NDPS एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध कर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मामले की विवेचना जारी है। इस कार्रवाई में थाना छुरा पुलिस एवं स्पेशल टीम गरियाबंद की विशेष भूमिका रही, जिनके समन्वित प्रयासों से यह सफलता प्राप्त हुई।
लेकिन बड़ा सवाल … नशे पर लगाम क्यों नहीं?
पुलिस द्वारा गांजा और नशे के विरुद्ध इस प्रकार की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि इतनी सख्ती और छापों के बाद भी क्षेत्र में नशे का व्यापार लगातार फल-फूल रहा है? ग्रामीण क्षेत्रों में देसी शराब का खुलेआम विक्रय, नाबालिगों से लेकर बुजुर्गों तक की नशे में लिप्तता, सार्वजनिक स्थलों पर गांजे के धुएं और टपरियों में खुला नशा – यह सब दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर हालात इतने आसान नहीं हैं।
कई बार यह भी देखने को मिलता है कि नशा बेचने वालों को समाज की चुप्पी या अघोषित सहमति भी मिल जाती है, जिससे वे आसानी से फिर किसी नए ठिकाने से धंधा चालू कर देते हैं। वहीं, कुछ मामलों में यह भी आरोप लगते हैं कि स्थानीय स्तर पर कमजोर निगरानी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण के चलते नशा कारोबार पनपता है।
जनता के मन में यह सवाल गहराता जा रहा है कि इन कार्रवाई का असर वाकई समाज में दिख रहा है? पुलिस की कार्यवाहियाँ सराहनीय जरूर हैं, पर यदि धरातल पर नशा नहीं रुकता, तो फिर रणनीति में बदलाव की ज़रूरत है। इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि गरियाबंद पुलिस मादक पदार्थों के खिलाफ सजग है, लेकिन नशा मुक्ति की असली लड़ाई केवल गिरफ्तारी से नहीं, बल्कि समाज, प्रशासन और जन-जागरूकता के सामूहिक प्रयास से ही जीती जा सकती है।
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