नवापारा पालिका में टेंडर रिनिवल कराने के नाम पर रिश्वत का खेल, आश्रय स्थल संचालन करने वाले महिला समूह ने लगाए आरोप

टेंडर रिनिवल कराने के नाम पर सामुदायिक संगठक और सिटी मिशन मैनेजर ने ली एक लाख रुपए की रिश्वत

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– नवापारा स्थित आश्रय स्थल में संचालन के नाम पर पैसे वसूलने का मामला सामने आया है। यह वसूली प्रतिवर्ष निविदा को आगे बढ़ाने के नाम पर की गई है। जबकि निविदा के अनुसार उनका अनुबंध तीन वर्षों के लिए हुआ है। वहीं नये टेंडर प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप महिला समूह के सदस्यों ने लगाया है।

बता दे कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) केंद्र सरकार की एक योजना है जिसे दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डे-एनयूएलएम) के रूप में भी जाना जाता है। इस योजना के माध्यम से शहरी गरीबों के स्वयं सहायता समूहों और अन्य सामुदायिक संगठनों को मजबूत करते हुए शहरी बेघर लोगों को आश्रय, भोजन और अन्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने नगरीय निकाय द्वारा आश्रय स्थल का संचालन किया जाता है। परन्तु अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार कर शासन की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

क्या है पूरा मामला

नगर पालिका परिषद गोबरा नवापारा के वार्ड 18 में एक आश्रय स्थल संचालित है। इसके संचालन के लिए जून 2022 में संत कबीरदास महिला क्षेत्रीय संगठन को प्रक्रिया के तहत जिम्मेदारी दी गई जिसका तीन वर्ष का एग्रीमेंट किया गया था। उक्त समूह की सदस्य भारती साहू, उमा साहू ने हमारे संवाददाता को बताया कि अधिकारी सिटी मिशन मैनेजर निशा साहू और सामुदायिक संगठक रमेश दीवान ने उक्त समूह से प्रतिवर्ष एग्रीमेंट रिनिवल करने के एवज में 2023 में 30 हजार रुपए और 2024 में एक लाख रुपए नगद लिए। पैसा लेने के बावजूद हमारा लगभग दस माह का पैसा समूह को प्राप्त नहीं हुआ है साथ ही इस वर्ष दूसरे समूह को ठेका दे दिया गया है।

टेंडर की प्रक्रिया में नहीं बरती गई पारदर्शिता

उन्होंने बताया कि पैसे लेने के बावजूद भी इस वर्ष पुनः 16 जुलाई को टेंडर निकाल दिया गया। लेकिन नये टेंडर प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं बरती गई। टेंडर में सिर्फ दो समूहों ने भाग लिया जबकि नगर में आठ एएलएफ (महिला समूह) है। कम संख्या में सहभागिता के बावजूद दो संगठनों के मध्य लाटरी सिस्टम से नाम निकाला गया। इस हेतु सामुदायिक संगठक रमेश दीवान ने ही पर्ची बनाई, पर्ची को मोड़ा और उन्होंने ही पर्ची निकाली जो कि प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

दोनों अधिकारियों ने पैसा लेना स्वीकार किया

उक्त मामले की शिकायत मिलने पर जब हमारे संवाददाता ने उक्त दोनों अधिकारियों से मिलकर पड़ताल की तो रमेश दीवान ने कहा कि एग्रीमेंट एक साल का था जिसे रिनिवल कराने के लिए महिलाओं ने स्वयं से पैसा दिया था। विस्तार से पूछने पर उन्होंने चुप्पी साध ली। वहीं सिटी मिशन मैनेजर निशा साहू ने बताया कि एग्रीमेंट एक साल का था जिसे तीन साल करने के एवज में राशि लिया गया। जबकि दस्तावेजों के अनुसार, शुरू से ही यह एग्रीमेंट तीन साल के लिए था। परन्तु महिला संचालकों की मासूमियत का फायदा उठाते हुए इन्होंने उनसे इतनी बड़ी रकम ऐंठ ली।

अधिकारियों ने महिलाओं को धमकाया

उक्त बातें समाचार में आने के डर से दोनों अधिकारियों ने मिलकर अपनी करतूत छुपाने आश्रय स्थल संचालन करने वाली महिलाओं को धमकाना चालू कर दिया। यह भी जानकारी मिली है कि दोनों अधिकारियों ने किसी कागज में समूह की महिलाओं से साइन करने का दबाव भी बनाया परन्तु कुछ महिलाओं ने साइन करने से इंकार कर दिया।

क्या कहते हैं अधिकारी

इस संबंध में हमने जब राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के सिटी प्रोजेक्ट ऑफिसर सह सीएमओ लवकेश पैकरा से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। जांच कर दोषियों पर कार्रवाही के लिए उच्च अधिकारियों को प्रतिवेदन भेजा जाएगा।

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