मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं मंत्रिमंडल का चिंतन शिविर 2.0, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों ने सीखे बेहतर वित्तीय प्रबंधन के गुर

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों का दो दिवसीय चिंतन शिविर 2.0 आज आईआईएम रायपुर में प्रारंभ हो गया है। छत्तीसगढ़ शासन के सुशासन एवं अभिसरण विभाग द्वारा भारतीय प्रबंधन संस्थान, रायपुर (आईआईएम) के सहयोग से दो दिवसीय चिंतन शिविर 2.0 का आयोजन किया गया है।

कार्यक्रम के शुभारंभ के पश्चात आज ‘परिवर्तनकारी नेतृत्व और दूरदर्शी शासन’, संस्कृति, सुशासन और राष्ट्र निर्माण तथा सक्षमता से सततता तक: विकास के लिए सार्वजनिक वित्त पर पुनर्विचार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सत्र का आयोजित किया जा रहा है। दो दिवसीय शिविर के दौरान भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, प्रो. हिमांशु राय (डायरेक्टर आईआईएम इंदौर), डॉ. रविंद्र ढोलकिया (आईआईएम अहमदाबाद), संजीव सान्याल (प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद सदस्य), पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक उदय माहुरकर, ग्लोबल डिजिटल स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र प्रताप गुप्ता जैसे ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ विभिन्न सत्रों को संबोधित करेंगे।

आईआईएम रायपुर में आयोजित चिंतन शिविर 2.0 के पोस्ट लंच सत्र में आज आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर डॉ रविंद्र ढोलकिया ने ‘सब्सिडी से सततता : विकास के लिए सार्वजनिक वित्त पर पुनर्विचार’ विषय पर प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने वित्तीय प्रबंधन, संसाधनों के बेहतर उपयोग, संसाधन जुटाने के लिए आवश्यक कदम, रेवेन्यू कलेक्शन जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अच्छी विकास दर हासिल करने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाना आवश्यक है।

शासन को नई दिशा और ऊर्जा देते हैं

आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने ‘परिवर्तनकारी नेतृत्व एवं दूरदर्शी शासन’ विषय पर अपने व्याख्यान में भगवद्गीता के श्लोकों के माध्यम से निष्काम कर्म और नैतिक प्रशासन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कार्य केवल फल की आशा से नहीं, बल्कि उसके सही होने के कारण किया जाना चाहिए।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने ‘संस्कृति, सुशासन और राष्ट्र निर्माण’ विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा, “भारत की एकता केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भी है। राष्ट्र निर्माण केवल नीतियों या संसाधनों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और नैतिक मूल्यों से संभव है।” उन्होंने अंत्योदय के महत्व पर बल देते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति के कल्याण को सुशासन की प्राथमिकता बताया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि चिंतन शिविर जैसे आयोजन शासन को नई दिशा और ऊर्जा देते हैं। उन्होंने दोनों विशेषज्ञ वक्ताओं के विचारों को अत्यंत प्रेरणादायक और नीति-निर्माण के लिए उपयोगी बताया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित सभी मंत्रीगण, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, सुशासन एवं अभिसरण विभाग के विशेष सचिव रजत बंसल, भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर के निदेशक राम काकाणी उपस्थित थे।

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