क्लर्क ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, नवापारा ब्राम्हण समाज ने सौंपा ज्ञापन, जानिए पूरा मामला

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- रायपुर के कलेक्टोरेट राजस्व शाखा में पदस्थ क्लर्क प्रदीप उपाध्याय ने सोमवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनका शव घर के एक कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला था। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया।
सुसाइड नोट में विभाग के तीन अफसरों तत्कालीन एडीएम गजेंद्र ठाकुर, वीरेंद्र बहादुर सिंह एवं तत्कालीन एसडीओ देवेंद्र पटेल के नाम का उल्लेख करते हुए इन तीनों के प्रताड़ना की वजह आत्महत्या करना लिखा है। उसने अपनी मौत के लिए इन तीनो को जिम्मेदार बताया है। सुसाइट नोट में उन्होने लिखा है कि जातिसूचक प्रताड़ना से त्रस्त होकर वह फांसी लगाकर आत्महत्या कर रहे है। इस मामले को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में ब्राम्हण समाज में गहरी नाराजगी है तथा दुखी और उद्देलित भी है।
नवापारा ब्राम्हण समाज ने सौंपा ज्ञापन
इस मामले को लेकर मंगलवार को नवापारा ब्राम्हण समाज के लोग सुभाष चौक से बाइक रैली के रूप में शहर का भ्रमण करते हुए तहसील कार्यालय पहुंचकर तहसीलदार को छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने समाज के वरिष्ठ प्रसन्न शर्मा, कैलाश शुक्ला, रमेश तिवारी, श्यामकिशोर शर्मा, विवेक मिश्रा, ललित पांडे, शिव तिवारी, प्रफुल्ल दुबे, अनंत पुराणिक, मनहरण शर्मा, सौरभ शर्मा, प्रणय दीवान, वासुदेव पांडे, कैलाश तिवारी, अंजय शर्मा, ज्ञानेश शर्मा, मनीष शर्मा, गुड्डु मिश्रा, अंकित शर्मा, कमल शर्मा, सुभाषिनी शर्मा, रेखा तिवारी, तनु मिश्रा, रश्मि तिवारी, पूनम दीवान, रूचि शर्मा सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल थे।
ब्राम्हण समाज ने अपने ज्ञापने में लिखा है कि 28 अक्टूबर को शासकीय कर्मचारी प्रदीप उपाध्याय ने अपने उच्चाधिकारियो के जातिसूचक प्रताड़ना से त्रस्त होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है इस घटना से संपूर्ण छत्तीसगढ़ का ब्राम्हण समाज दुखी एवं उद्देलित है। मृतक प्रदीप उपाध्याय द्वारा अपने सुसाइट नोट में प्रताड़ित करने वाले अधिकारियो के नाम का उल्लेख भी किया है। अतएव उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उचित कार्रवाई करने के लिए महामहिम राज्यपाल से निवेदन किया गया है।
ब्राम्हण को यहां से भगाओ कहकर किया बेइज्जत
मृतक प्रदीप मिश्रा ने सुसाइट नोट में लिखा है कि वे पूरी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा से अपना काम कर रहे थे। डायवर्सन शाखा के साथ ही राजस्व आपदा का काम भी उन्हें सौंपा गया था। परेशान करने के लिए तत्कालीन एसडीओ देवेंद्र पटेल जो अभी रायपुर में एडीएम है,अपर कलेक्टर गजेंद्र ठाकुर के साथ मिलकर नजीर शाखा में अतिरिक्त कार्य सौंपा। इन अफसरो ने कलेक्टर गौरव सिंह के सामने उनकी छवि खराब की।
ब्राम्हण को यहां से भगाओ कहकर बेइज्जत किया गया। वीरेंद्र बहादुर सिंह तत्कालीन अपर कलेक्टर ने बुरी तरह से परेशान किया। तीनो अधिकारी मेरे आत्महत्या करने के दोषी है इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए। सुसाइट नोट में उन्होने 2019 से उक्त अधिकारियो के संपत्ति की जांच की मांग करने लिखा है।

समाज के वरिष्ठ प्रसन्न शर्मा ने कहा है कि ऊंचे पदो में रहने वाले अफसरो से हमारी गुजारिश है कि अपने ओहदो का जरा ध्यान रखे और जातिसूचक शब्दो का इस्तेमाल करने से बचें। ऐसे अपने किसी मातहत को भविष्य में आत्महत्या करने के लिए मजबूर न करें। जातिसूचक शब्द कितना पीड़ादायक होता है इसे वही समझ और जान सकता है जिनके जाति के बारे में ऐसे शब्दो का इस्तेमाल होता है।
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