खेल मैदान में करोड़ो खर्च फिर भी नहीं हैं बुनियादी सुविधाएं, बना शराब खोरी का अड्डा, खिलाडी जाएं तो जाएं कहां
खिलाड़ियों ने लगाया जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- नगर पालिका गोबरा नवापारा की आबादी लगभग 50 हजार की है परंतु खिलाड़ियों के लिए सर्वसुविधायुक्त एक भी खेल का मैदान नहीं होने से खेल के प्रति रुचि रखने वाले खिलाड़ी उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। नवापारा की बात करें तो यह शहर सभी क्षेत्र में आगे है, लेकिन खेल में पीछे है। क्योंकि शहर में एक भी खेल मैदान नहीं होने की वजह से खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं मिल पा रहा।
जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप
जब हमारे प्रतिनिधि ने खिलाड़ियों से बात की तो उन्होंने कहा कि हम बहुत बार प्रयास कर चुके है, लाखों रुपए का खर्चा भी हमने आपस में मिलकर किया परंतु रिजल्ट कुछ भी नहीं निकला कहकर आगे बोलने से इंकार कर दिया। कुछ खिलाड़ियों ने नाम ना छापने की शर्त पर नपा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष सहित दोनों दलों के पार्षद, एल्डरमैन पर सीधे सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि वे सभी इसी नगर के हैं उनकी जिम्मेदारी ज्यादा बनती है। परंतु उन्हें तो सिर्फ राजनीति करनी है। नगर में खेल सुविधा के नाम पर कुछ भी काम नहीं किया।
उन्होंने बताया कि मंडी, मिल या निजी मैदान में खेलना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि शहर में खिलाड़ियों कि कमी है। सही मैदान नहीं होने के बाद भी शहर के ख़िलाड़ी राज्य एवं राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। शहर में बड़े आयोजन से लेकर गतिविधि कराने के लिए मैदान की आवश्यकता है। इसके बाद भी इस ओर कोई सुध नहीं ले रहा है।
ये रहे प्रतिभाशाली खिलाड़ी
पियूष शर्मा, दौलत राम साहू, रविन्द्र यादव, करण सोनकर, हुकुमचंद साहू, खिलेश्वर शर्मा ये सभी खिलाडी वालीबाल में राज्य स्तरीय खेलों में नगर का प्रतिनिधत्व कर चुके है। इनमे से पियूष शर्मा ने तो रास्ट्रीय स्तर पर भाग लिया है। इसी तरह कबड्डी में नन्दकुमार भारती ( नेशनल), अक्षय साहू, राजकुमार यादव, इन्द्रजीत बंजारे, पप्पू बंजारे राज्य स्तर पर अपना प्रदर्शन कर चुके है।
दम तोड़ रही युवा खेल प्रतिभाएं
शहर के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही के चलते सर्व सुविधा युक्त एक भी खेल मैदान नहीं है। इससे खिलाड़ियों को मजबूरन निजी मैदानों का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिल पाती है। यही कारण है कि शहर से बड़े स्तर पर खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं। मैदान के लिए लंबे समय से मांग की जा रही है लेकिन इसके बाद भी जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई पहल नहीं हुई है। गोबरा नवापारा को तहसील स्तर का दर्जा प्राप्त है लेकिन खिलाड़ियों की सुविधाओं के तौर पर देखा जाए तो शहर पिछड़ा हुआ है।
करोड़ो खर्च फिर भी नहीं हैं बुनियादी सुविधाएं
जानकारी के अनुसार नगर के वार्ड क्र 1 में करोड़ो रुपए खर्च करके एक स्टेडियम बनाया गया है लेकिन यह स्टेडियम भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद मूलभूत सुविधा जैसे पानी, बिजली, शौचालय आदि की सुविधा नहीं है। मैदान भी पूरी तरह से समतल नहीं है, जो खिलाड़ियों के लिए एक प्रकार से खतरा पैदा करता है। यह स्टेडियम वर्तमान में शराब खोरी का अड्डा बन गया है। स्टेडियम में खेल और खिलाड़ियों की जगह शराबी और शराब की बोतले, नमकीन के पैकेट नजर आ रहे हैं।
खेल मैदान को लेकर नगर के खिलाड़ियों का कहना है कि राज्य सहित केंद्र सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजना निकालती है लेकिन शहर में खेल मैदान नहीं होना सौतेला सा व्यवहार लगता है। कुछ युवाओं का कहना है कि खेल स्टेडियम बन जाने पर फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी, वॉलीबॉल आदि खेलों की तैयारी के अलावा शारीरिक दक्षता की तैयारी करने में भी काफी सहजता होगी। खेल स्टेडियम नहीं रहने से युवक काफी परेशान दिखते हैं। इसे लेकर युवा वर्ग में नाराजगी होना स्वाभाविक है।
क्या कहते है जिम्मेदार
नपा अध्यक्ष धनराज मध्यानी ने कहा हमने प्रयास किया लेकिन बार बार शिकायतों से मामला ठंढे बस्ते में चला गया।
नेता प्रतिपक्ष प्रसन्न शर्मा ने कहा वर्तमान विधायक के सामने इस मुद्दे पर चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास करेंगे । खेल एवं युवा कल्याण सभापति हेमंत साहनी ने कहा हमारे पास अलग से खेलो के लिए कोई फंड नहीं आता है।
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