मंत्रालय में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी, पिता-पुत्र गिरफ्तार, 2.50 लाख में चपरासी और बाबू के लिए 4 लाख रुपए मांगे

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– मंत्रालय में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामले में पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने चपरासी के लिए 2.50 लाख और बाबू के लिए 4 लाख रुपए की दर से 12 लोगों से 70 लाख रुपए की ठगी की थी। पूरा मामला दुर्ग जिले के अंजोरा थाना क्षेत्र का है।

धोखाधड़ी की रकम से खरीदी जमीन

जानकारी के अनुसार आरोपी भेषराम देशमुख दुर्ग के वेटरनरी कॉलेज में कर्मचारी था। रिटायर होने के बाद ठगी का धंधा शुरू किया। भेषराम देशमुख अपने बेटे रविकांत देशमुख के साथ मिलकर मंत्रालय में चपरासी और बाबू की नौकरी लगवाने का झांसा देकर लोगों से ठगी करते थे। धोखाधड़ी की रकम से उन्होंने ग्राम कुथरेल में जमीन भी खरीदा। प्रकरण में मास्टर माइंड तीसरा आरोपी फरार बताया जा रहा है।

नौकरी लगवाने की दिया झांसा

दरअसल, बालोद जिले के ग्राम चिरवार निवासी संतराम देशमुख (54 वर्ष) ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। आरोपी भेषराम ने अपने साथी की मंत्रालय में पहचान का हवाला देकर सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा दिया। उसे विश्वास में लेने अपने बेटे की जुगाड़ से मंत्रालय में चपरासी की नौकरी लगने की जानकारी दी। 2 जुलाई 2022 को वेटरनरी कॉलेज के सरकारी स्टाफ क्वार्टर में उसने अपने साथी अरूण मेश्राम से मुलाकात कराई। आरोपियों के झांसे में आकर संतराम ने जून 2022 में अपने बेटे और दामाद की नौकरी लगवाने के लिए ढाई-ढाई लाख रुपये और संबंधित दस्तावेज आरोपियों को दे दिए।

पीड़ित संतराम ने बताया कि पैसे लेने के बाद आरोपी उन्हें गुमराह करते रहे और समय लेते रहे। आरोपियों ने न तो उनकी नौकरी लगवाई और न ही पैसे वापस किए। ठगी का एहसास होने पर संतराम ने 3 सितंबर 2025 को अंजोरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने अपराध दर्ज कर आरोपी भेषराम और उनका बेटा रविकांत को बस स्टैंड दुर्ग से पकड़ लिया। जांच में पता चला कि आरोपी पिता-पुत्र, राजनांदगांव निवासी अरुण मेश्राम के साथ मिलकर लगातार लोगों से पैसे ऐंठने का खेल खेल रहे थे।

तीसरे आरोपी की तलाश जारी

पुलिस पूछताछ में दोनों ने कबूल किया कि उन्होंने अब तक 12 से ज्यादा लोगों से लगभग 70 लाख रुपए ठगे हैं। आरोपियों ने बताया कि 70 लाख में से उन्हें 20 लाख रुपए हिस्से में मिले थे। उससे उन्होंने कुथरेल गांव में 12 लाख का प्लॉट खरीदा और बाकी पैसे खर्च कर दिए। इसके अलावा, राजनांदगांव निवासी अरुण मेश्राम भी इस नेटवर्क का हिस्सा बताया गया है। फिलहाल पुलिस तीसरे आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।

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