राजिम तेलीन माता की अगाध भक्ति के कारण कमलक्षेत्र पद्मावती पुरी बना राजिम, क्या है राजिम का है ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहे जाने वाले राजिम का अपना पुराना धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है, उतना ही राजिम का नाम भी महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरम्भ में भगवान विष्णु के नाभि से निकला कमल यहीं पर गिरा था। ब्रह्मा जी ने यहीं से सृष्टि की रचना भी की थी। इसलिये इसका नाम कमलक्षेत्र पद्मावती पुरी पड़ा। 

कालांतर में तैलीय समाज में भगवान राजीव लोचन की एक परम भक्तिन ने जन्म लिया, जिसका नाम राजिम था। इसी भक्तिन माता के नाम से कमलक्षेत्र पद्मावती पुरी का नाम ‘‘राजिम’’ पड़ा। जो आज पूरे प्रदेश में ही नहीं अपितु यहां आयोजित होने वाले कल्प कुंभ के कारण पूरे देश-विदेश में अपनी ख्याति का परचम फहरा रहा है। 

खाली बर्तन तेल से भर गया

किवदंती है कि राजिम भक्तिन भगवान का स्मरण करते हुए रोज तेल बेचने के लिए बाजार जाया करती थी। एक दिन नदी के पास एक पत्थर से ठोकर खाकर गिरने से उसके सिर पर रखा हुआ पूरा तेल नीचे जमीन पर गिर गया और वह भयातुर होकर अपने बर्तन को पत्थर पर रखकर रोने लगी। कुछ देर के बाद वह उस खाली बर्तन को उठाने की कोशिश की, तो यह देखकर अचांभित हो गई कि तेल का खाली बर्तन तेल से भर गया। उसने इसे एक चमत्कार मानते हुए पत्थर को लाकर अपनी घानी पर रख दिया। जिससे उसका बर्तन कभी खाली नहीं रहा और व्यवसाय दिन ब दिन बढ़ने लगा। 

पूरा राजकोष खाली हो गया खाली

कहा जाता है उसी वक्त यहां के राजा को भगवान विष्णु ने दर्शन देकर कहा कि मेरा विग्रह भक्तिन राजिम के पास उसकी घानी में रखा हुआ है। तुम उसे लेकर मेरी मंदिर में प्रतिष्ठा कर पूजा अर्चना करो। राजा ने यह बात दरबारियों को बताते हुए भक्तिन राजिम से वह मूर्ति मांगने की याचना की। कहा जाता है कि लाख कोशिशों के बाद जब भक्तिन राजिम को राजा ने मूर्ति के बराबर धन देने की बात कही, तो उसकी बात को परिवार वालों ने मानकर मूर्ति देने का फैसला किया। जब मूर्ति को एक पलड़े पर रखकर दूसरे पलड़े पर धन रखना शुरू किया, तो पूरा राजकोष खाली हो जाने के बावजूद पलड़ा टस से मस नहीं हुआ। ये देखकर राजा चिंतित हो गए।

इसके बाद भगवान ने दोबारा दर्शन देकर राजा से कहा कि तुम एक तुलसी पत्ता पलड़े में डाल दो। दूसरे दिन राजा ने तुलसी पत्ते को धन वाले पलड़े में रखा, तो पलड़ा सम हो गया। इसीलिए आज भी भगवान राजीव लोचन को तुलसी पत्ता चढ़ाने का विधान है। कहा जाता है कि राजिम भक्तिन माता की भक्ति के कारण राजिम का नाम जग प्रसिद्ध हो गया। आज भी राजीव लोचन मंदिर के प्रांगण में भक्तिन राजिम माता का मंदिर बना हुआ है।

हर वर्ष साहू समाज मनाता है जयंती

राजिम माता के नाम से साहू (तेली) समाज द्वारा 7 जनवरी को राजिम भक्तिन माता की भव्य जयंती मनाकर उनके प्रति अपनी आस्था श्रद्धा की भावांजलि समर्पित करते हैं, जिसमें पूरे छत्तीसगढ़ से तेली समाज सहित अन्य समाज के लोग भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

https://chat.whatsapp.com/EmIwdJKezHHKmsjiabrwtK

यह खबर भी जरुर पढ़े

एक ही पत्थर से निर्मित जीवंत विग्रह, दिन में तीन रूप बदलते है भगवान श्री राजीव लोचन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error:
Parineeti Raghav Wedding : परिणीति राघव हुए एक-दूजे के , सामने आई ये शानदार फ़ोटोज janhvi kapoor :जान्हवी कपूर की ये लुक , नजरे नहीं हटेंगी आपकी Tamanna bhatia : तमन्ना भाटिया ने फिल्म इंडस्ट्री में पूरे किए 18 साल भूतेश्वरनाथ महादेव : लाइट और लेजर शो की झलकिया Naga Panchami : वर्षों बाद ऐसा संयोग शिव और नाग का दिन Belpatra Khane Ke Fayde : सेहत के लिए है भगवान शिव का वरदान Bhola Shankar Film