नवापारा में भी दिखा बंद का असर : आमाबेड़ा घटना के विरोध में व्यापारियों ने रखा प्रतिष्ठान बंद, हिन्दू समाज ने की अपील

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– कांकेर जिले के आमाबेड़ा में विगत दिनों हुई हिंसक घटना और जनजातीय समाज पर हुए कथित हमले के विरोध में सर्व समाज द्वारा बुधवार को छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया गया। इस बंद को छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश कार्यालय सहित राज्य के अनेक व्यापारिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों का समर्थन प्राप्त हुआ।

बंद का असर प्रदेशभर के साथ नवापारा नगर में भी देखने को मिला। नवापारा शहर में सुबह से ही बाजार, दुकानें और अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपने प्रतिष्ठानों के शटर नहीं खोले और बंद को शांतिपूर्ण तरीके से समर्थन दिया।

नवापारा में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता भी नगर के विभिन्न मार्गों में पहुंचकर व्यापारियों से दुकानें बंद रखने अपील करते नजर आए। इस दौरान प्रमुख रूप में भूपेंद्र सोनी, नागेंद्र वर्मा, मुकुंद मेश्राम, संजीव टिकु सोनी, नम्मु नारायण ध्रुव, चेंबर ऑफ कॉमर्स के नवापारा ईकाई अध्यक्ष जवाहर जीवनानी, गौरव सामनानी, धीरज साहू, सुमीत सोनी, राजू रजक, मुकेश निषाद, लीलाराम निषाद सहित व्यापारी एवं विहिप के सदस्य मौजूद थे।

क्या हुआ था आमाबेड़ा में 

कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में शव दफनाने को लेकर उपजे विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जिससे पूरे इलाके में तनाव फैल गया। जानकारी के अनुसार, पारंपरिक आदिवासी रीति-रिवाजों के विपरीत अंतिम संस्कार किए जाने को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी थी, जिसके बाद विवाद बढ़ता गया।

आदिवासी समाज के लोगों ने ईसाइयों को डंडे से मारकर भगाया। इसके जवाब में धर्मांतरित समुदाय के लोगों ने आदिवासी समाज के लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इससे गुस्साए आदिवासियों ने सरपंच के घर में तोड़फोड़ कर दी। गांव के चर्च में आग लगा दी। ग्रामीण इसके बाद भी नहीं रुके। 3 हजार से ज्यादा की भीड़ आमाबेड़ा पहुंच गई। यहां भी एक चर्च को आग के हवाले कर दिया। भीड़ तीसरे चर्च को फूंकने आगे बढ़ रही थी। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया । घटना में कई ग्रामीण अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहित 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए।

नवापारा के साथ-साथ गरियाबंद, धमतरी, रायपुर में भी बंद का असर दिख रहा है। बंद के दौरान सड़कों पर सामान्य दिनों की तुलना में कम चहल-पहल देखी गई। हालांकि बंद के दौरान आवश्यक सेवाओं को इससे अलग रखा गया। अस्पताल, मेडिकल स्टोर, एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाएं सामान्य रूप से संचालित होती रहीं। हिंदू संगठनों ने कहा कि जनजातीय समाज पर हुए हमले और प्रदेश में कथित रूप से चल रहे सामाजिक विभाजन के प्रयासों के विरोध में यह बंद रखा गया है। संगठनों ने प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। 

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