धर्म का पालन, सही समय पर समाधि, व्यक्ति को मोक्षमार्ग की ओर आगे बढ़ाता है- आर्यिका माता श्री विदुषी
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- धर्म नगरी राजिम अंचल में पुनः आर्यिका माता जी के रूप में साध्वीयों का सान्निध्य प्राप्त हुआ हैं। कटक ओड़िशा में चातुर्मास पूर्ण कर शीत ऋतु के मध्य इंदौर की ओर विहार करते हुए माता जी ससंघ के चरण प्रातः काल राजिम नगरी में पड़ें। जिनकी आहार चर्या कराने का सौभाग्य लाला जी परिवार श्रीमती छाया अजित जैन व श्रीमती श्रृंखला संतोष जैन परिवार को प्राप्त हुआ।
समाधिस्थ महान आचार्य विराग सागर जी से दीक्षित परम् प्रभावी शिष्या आर्यिका 105 श्री विदुषी श्री माता जी, आर्यिका 105 श्री विनीत श्री माता जी, आर्यिका 105 श्री विकम्पा श्री माता जी, आर्यिका 105 श्री विरत श्री माता जी व आर्यिका 105 श्री विनोद श्री माता जी ससंघ के आगमन से पुनः अंचल का वातावरण धर्ममय हो गया हैं।
सामायिक उपरांत माता जी ससंघ ने सर्वप्रथम संत पवन दीवान आश्रम में स्थित भगवान श्री पार्श्वनाथ जी के मंदिर दर्शन किये तथा भव्य जुलुस के माध्यम से 99 वर्ष प्राचीन श्री शान्तिनाथ जिनालय दर्शन हेतु पहुंची।
दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ
भव्य अगुवानी में जैन समाज के हर वर्ग के सैकड़ों श्रावक श्रविका उपस्थित रहे। मंदिर के दर्शन के उपरांत जुलुस जैन भवन में पूर्ण हुआ, जहाँ आचार्य श्री का चित्र अनावरण पंचायत कमेटी के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा सम्पन्न कराया गया, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ राजेंद्र गदिया आदि वरिष्ठ सदस्यों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम को विधिवत प्रारंम्भ किया। कार्यक्रम का संचालन प्रतिष्ठाचार्य पं. ऋषभ शास्त्री ने किया।
जैन समाज की पंचायत कमेटी, श्री महावीर दिगंबर जैन पाठशाला कमेटी, श्री देवनंदी धर्मार्थ औषधालय कमेटी, त्रिशला महिला मंडल, ज्ञान बहु मंडल, नसिया जी प्रभारी मंडल व मंदिर निर्माण समिति के पदाधिकारी व सदस्यों द्वारा आर्यिका संघ की वंदना करते हुए श्रीफल समर्पित किया। पंचायत कमेटी के संरक्षक रमेश पहाड़िया, अध्यक्ष अखिलेश जैन, उपाध्यक्ष अनिल जैन, कोषाध्यक्ष आशीष जैन, सांस्कृतिक सचिव रवि जैन, सह सांस्कृतिक सचिव अतुल सिंघाई व किशोर जैन, सुरित जैन, निर्मल नाहर, अनिमेष नाहर, प्रभात जैन आदि ने माताजी शास्त्र भेंट किया।
अंचल के लोगों का सौभाग्य
उपस्थित जनसमूह के निवेदन पर संघ प्रमुख आर्यिका माता श्री विदुषी श्री माता जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि, 2004 में समाधि क्षपक श्रीमती कचरा बाई से आर्यिका विमान श्री माता जी की समाधि के दौरान आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज ससंघ के दौरान उनका आगमन हुआ था। 20 वर्ष बाद पुनः आगमन पर जिनमंदिर के दर्शन करने का अवसर मिला। धर्म का पालन, सही समय पर समाधि व्यक्ति को मोक्षमार्ग की ओर आगे बढ़ाता हैं। इस पुण्य नगरी में लगातार साधू साधवीयों का समागम मिलना अंचल के लोगों के सौभाग्य को दर्शाता हैं। ज़ब भी कोई साधु का प्रवास हो या विहार हो इसी प्रकार उनकी सेवा करने का अवसर कभी नहीं चूकना चाहिए। आर्यिका ससंघ ने अंचलवासियों के लोगों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
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