महासमुंद में कमार जनजाति की महिला और पुरूष मतदाताओं ने लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- गांव की गली से दूर और जंगलों के बीच रहने वाले विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के लोग अपने बाएं हाथ की तर्जनी उंगली दिखाकर अपनी किस्मत बदलने का इशारा कर रहे है। आज लोकतंत्र के इस महापर्व में मतदान देकर खुद की भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। उनकी भागीदारी के बदौलत स्वस्थ लोकतंत्र का सपना पूरा नहीं हो सकता
महासमुंद जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति के करीब 3240 लोग निवास करते है। इनकी आबादी 75 गांवों में लगभग 895 कमार जनजाति परिवार के बीच निवासरत है। ये अपनी संस्कृति और रहन-सहन से जुड़ाव के कारण मुख्य धारा से अलग रहने की कोशिश करते है। इस महापर्व में उन्हांने भी आज भागीदारी निभाई है। सामान्यतः वे खेत और जंगलों में जाकर अपनी आजीविका चलाते है। लेकिन इस बार वे बढ़-चढ़कर मतदान की प्रक्रिया में शामिल हो रहे हैं।
उन्होंने न केवल मतदान किया बल्कि खुशी-खुशी सेल्फी भी ली है। कमार जनजाति के युवक-युवती और महिला-पुरूष भी सेल्फी लेते नजर आएं। वास्तव में तर्जनी उंगली दिखाते हुए ये फोटो उनके आत्मविश्वास का प्रतीक है। आज महासमुंद जिला के ग्राम खट्टी, बसना, कलमीदादर, गुलझर, सोरिद, खल्लारी, तमोरा के विशेष पिछड़ी जनजाति मतदान कर अपने जागरूकता का परिचय भी दे रहे हैं। सारे काम छोड़कर आज मतदान के लिए पहुंची पुन्नी बाई, मेहतरीन बाई, दुर्गा बाई, अशोक बाई, कल्याणी बाई ने मतदान देकर विकास का रास्ता चुना है।
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