कांगेर घाटी की बहुरंगी खूबसूरती से मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं पर्यटक,तीरथगढ़ जलप्रपात अपने शबाब पर

तीरथगढ़ में मनाया गया कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का स्थापना दिवस

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज):-कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी से निकला है, जो इसकी लंबाई में बहती है। कांगेर घाटी लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला है। तीरथगढ़ झरना कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। इसके साथ ही साथ केंजरधार और भैंसाधार मगरमच्छ पार्क के लिए लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं। पार्क की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठाने के लिए जिप्सी सफारी पर्यटकों के लिए उपलब्ध है।

बस्तर के सुप्रसिद्ध कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का स्थापना दिवस 22 जुलाई को तीरथगढ़ में मनाया गया। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 22 जुलाई 1982 में की गई थी।इस अवसर पर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्रबंधन एवं संरक्षण, इकोटूरिज्म में विशेष योगदान देने वाले इको-विकास समिति के सदस्य, जिप्सी सफारी संचालक, नेचर गाइड, मैना मित्र, मगर मित्र, पेट्रोलिंग गार्ड, मैदानी कर्मचारियों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीसीएफ मोहम्मद शहीद ने आपने उद्बोधन में विभाग के सदस्यों को बधाई दी और कहा कि कांगेर घाटी में आने वाले हर पर्यटक यहां की खूबसूरती से मंत्र-मुग्ध हो जाते है। साथ ही उन्होंने उद्यान में पर्यटकों द्वारा प्लॉस्टिक के इस्तेमाल को रोकने और जागरूक करने लोगों से अपील की।कार्यक्रम में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गनवीर ने कहा कि सभी लोगों के सतत प्रयास से ही घाटी को विश्व मानचित्र में स्थापित होने में नई दिशा मिल रही है, प्राकृतिक खूबसूरती, जैव विवधता और आदिवासी संस्कृति का अनूठा मेल है, जो देश और विदेश के पर्यटकों को लुभा रहा है।

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पर्यावरणविद डॉ. सतीश जैन, वरिष्ठ लेखक सुुभाष पांडेय, रंगकर्मी  शिव प्रकाश तथा अनिल लुंकड़, सरपंच श्रीमती महेश्वरी कश्यप एवं गागरा राम आदि उपस्थित थे।

तीरथगढ़ जलप्रपात इस बरसात के बाद अपने सबाब पर

कांगेर घाटी मे तीरथगढ़ जलप्रपात अभी अपने शबाब पर है जिससे इसकी खूबसूरती मे चार चाँद लग गए है 200 फीट कि ऊंचाई से गिरता यह जलप्रपात लोगों को आकर्षित कर रहा है ।बता दे कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ के जगदलपुर जिला से मात्र 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह रायपुर जिला से लगभग 330 किलोमीटर की दूरी पर है। यह उत्तर पश्चिम किनारे पर तीरथगढ़ जलप्रपात से प्रारंभ होकर पूर्व में ओड़िसा की सीमा कोलाब नदी तक फैला है। कांगेर नदी इसके बीचो-बीच इठलाती हुई चलती है।

 

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