राजिम कुंभ कल्प मेला: वैष्णव संप्रदाय के नागा साधुओं ने किया निशान पूजा, अस्त्र-शस्त्र के साथ किया शौर्य प्रदर्शन

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– राजिम कुंभ कल्प मेला के 12वें दिन संत समागम स्थल में वैष्णव नागाओं ने अपनी पंथ परंपरा के अनुसार निशान पूजा कर अपनी परम्परा का निर्वहन किया। अखिल भारतीय संत समिति छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष महंत सर्वेश्वर दास महाराज के नेतृत्व में संत महत्माओं ने निशान पूजन कर अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन किया।
ज्ञात हो कि भारत देश में कुल तेरह अखाड़े है जिसमें तीन अखाड़े वैष्णव संप्रदाय के है इन तीनो अखाड़ो ने राजिम कुंभ में प्रतिनिधित्व किया। जो श्रीपंच निर्माेही अखाड़ा, श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़़ा के महंत नागा मौजूद थे। इन दलों के पास एक विशाल छड़ी में ध्वज होता है जिसे निशान कहते है।
यह निशान अखाड़ो की मान्यता के अनुसार हनुमान जी का प्रतिनिधित्व करते है और नागा साधु इस निशान को हनुमान जी का आशीर्वाद मानकर उनके दिशा-निर्देश अनुसार धर्म की रक्षार्थ अक्रांताओ से युद्ध करते थे। जिससे सनातन धर्म की रक्षा किया जा सके। सदियों पुरानी यह परंपरा आज भी बदस्तुर जारी है और इस परंपरा का निर्वहन कुंभ में पूजा अर्चना कर तथा संतो द्वारा शौर्य प्रदर्शन कर किया जाता है। इसी परंपरा का निर्वहन पूरे भव्यता और विधि-विधान के साथ राजिम कुंभ कल्प में मौजूद अखाड़ों के संतो, अधिकारियों के सानिध्य में किया गया।
अस्त्र-शस्त्र के साथ किया शौर्य प्रदर्शन
इस अवसर पर महंत सीताराम जी महाराज, स्वामी परमानंद जी महाराज, महंत राधेश्याम जी महाराज, महंत राधामोहन दासजी महाराज, नागा पवन दासजी, पुजारी अशोक दास जी, स्वामी राजेश्वरामनंद, महंत स्वामी प्रेमानंद जी महाराज सहित अनेक संत समागम में उपस्थित साधु-संत और संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के उप संचालक प्रताप पारख, सुधीर दुबे की मौजूदगी में संत परंपरा द्वारा निशान पूजा कर साधुओं द्वारा शौर्य प्रदर्शन किया गया।
गौरतलब है पूरे भारत में राजिम ही एक ऐसा स्थल है जहां विभिन्न क्षेत्रों से आए साधु-संतो सहित अन्य महात्माओं के दर्शन कुंभ कल्प के दौरान होता है तथा इन सभी संतो का आशीर्वाद कुंभ मेला में पहुंचे सभी आगंतुको को भी महात्माओ का आशीर्वाद एवं अमृतवाणी का लाभ मिलता है।
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