1 करोड़ का ईनामी नक्सली हिडमा, पत्नी राजे सहित 6 नक्सली ढेर, AK-47 सहित कई हथियार भी बरामद

हिड़मा के आतंक का हुआ अंत, बस्तर में लौट रहा है शांति का वसंत - मुख्यमंत्री

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित मरेडमिल्ली जंगल में मंगलवार सुबह सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में देश के सबसे खतरनाक नक्सल कमांडरों में शामिल माड़वी हिड़मा मारा गया। हिड़मा के साथ उसकी पत्नी राजे उर्फ रजक्का और चार अन्य नक्सली भी ढेर हुए।

हिड़मा पर 1 करोड़ रुपए का इनाम घोषित था और वह कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। इनमें 2010 का दंतेवाड़ा हमला, 2013 का झीरम घाटी हत्याकांड और 2021 का सुकमा-बीजापुर हमला प्रमुख हैं।

बस्तर रेंज IG पी. सुंदरराज ने पुष्टि करते हुए कहा कि “आज 18 नवंबर को आंध्र प्रदेश सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने 6 माओवादियों के शव बरामद किए। उनमें से एक माओवादियों की केंद्रीय समिति का सदस्य माडवी हिडमा शामिल था, जो पूर्व में पीएलजीए बटालियन का कमांडर था और आतंकवाद का चेहरा माना जाता है। आज की मुठभेड़ में उसका शव भी बरामद किया गया। हिडमा की पत्नी और चार अन्य माओवादियों के शव बरामद किए गए। मौके से भारी मात्रा में एके-47 और गोला-बारूद भी बरामद किया गया…”

बस्तर में लौट रहा है शांति का वसंत…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया पर लिखा कि छत्तीसगढ़–आंध्र प्रदेश सीमा पर सुरक्षाबलों के सफल ऑपरेशन में शीर्ष नक्सली लीडर और सीसी मेम्बर माडवी हिड़मा सहित छह नक्सलियों का न्यूट्रलाइज होना नक्सलवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई में एक निर्णायक उपलब्धि है। इसके लिए हमारे सुरक्षाबल के जवानों के अदम्य साहस को नमन।

हिड़मा वर्षों से बस्तर में रक्तपात, हिंसा और दहशत का चेहरा था। आज उसका अंत न सिर्फ एक ऑपरेशन की उपलब्धि है, बल्कि लाल आतंक पर गहरी चोट है, साथ ही यह क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने की हमारी प्रतिबद्धता को और सशक्त करता है। बीते महीनों में सैकड़ों नक्सलियों का आत्मसमर्पण, टॉप कैडर की गिरफ्तारियाँ और लगातार सफल ऑपरेशन्स बताते हैं कि नक्सलवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी के मार्गदर्शन में हमारी सुशासन सरकार बस्तर में शांति, विश्वास और विकास की नई धारा बहा रही है।नियद नेल्ला नार, नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति, नवीन सुरक्षा कैंप की स्थापना, इन कदमों ने जनविश्वास को मजबूत किया है और बस्तर के हर गांव में नया आत्मविश्वास भरा है। हमें पूरा विश्वास है कि केंद्र–राज्य की संयुक्त रणनीति के साथ मार्च 2026 तक भारत पूर्णतः नक्सलमुक्त होगा।

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