शादी का प्रलोभन देकर नाबालिग को दुष्कर्म: आरोपी को 20 साल की सश्रम कारावास की सजा, अर्थदंड भी लगाया

नाबालिग पीड़िता को प्रतिकर स्वरूप पाँच लाख रूपयें प्रदाय किये जाने के लिए निर्देशित किया गया

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– गरियाबंद जिले में नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (पॉक्सो एवं बलात्कार मामलें) गरियाबंद के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो एवं बलात्कार मामलें) यशवंत वासनीकर ने दुष्कर्म करने वाले आरोपी अदबल उर्फ अदा मांझी पिता रूपसिंग मांझी (30 वर्ष) निवासी बम्हनीगुड़ा थाना सीनापाली जिला नुवापाडा (उड़ीसा) को 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया हैं।

फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय के विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) एच एन त्रिवेदी से प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़िता के पिता ने थाना देवभोग में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि उसकी नाबालिग पुत्री उम्र 17 वर्ष 04 माह; जो 17 नवम्बर 2023 को करीब 07:30 बजे घर में बिना बताये कहीं चली गई। आस-पास पता तलाशी के बाद भी नहीं मिलने पर किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा उसकी नाबालिग पुत्री, पीड़िता को बहला फुसलाकर भगा ले जाने की शिकायत पर पुलिस द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया और नाबालिग पीड़िता को आरोपी के कब्जे से बरामद कर प्रकरण की सम्पूर्ण विवेचना पश्चात् आरोपी अदबल उर्फ अदा मांझी के विरूद्ध धारा 363, 366, 376 (2) (ढ) भा.दं.वि. एवं धारा 06 पॉक्सो एक्ट के तहत् न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था।

पॉक्सो एक्ट के तहत् 20 वर्ष का सश्रम कारावास

प्रकरण के संबंध में विशेष लोक अभियोजक एच. एन. त्रिवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि अभियोजन द्वारा अपने पक्ष समर्थन में कुल 12 साक्षियों का कथन कराया गया। विशेष न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर द्वारा प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य एवं दस्तावेजों के अवलोकन व प्राप्त निष्कर्षों के अनुरूप नाबालिग पीड़िता को शादी का झांसा देकर उसके वैध संरक्षक की अनुमति के बिना व्यपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोपी अदबल उर्फ अदा मांझी को दोषसिद्ध पाये जाने पर भा.दं.वि. की धारा 363 के तहत् दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1,000 रूपये का अर्थदण्ड, धारा 366 के तहत् पांच वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये का अर्थदण्ड तथा पॉक्सो एक्ट की धारा -06 के तहत् 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया हैं। 

पीठासीन न्यायाधीश यशवंत वासनीकर के द्वारा पारित निर्णय 31 जनवरी 2025 में नाबालिग पीड़िता के साथ हुई उक्त घटना से होने वाले शारीरिक व मानसिक पीड़ा तथा उसके जीवन व मनोदशा पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों पर विचार करते हुए नाबालिग पीड़िता को प्रतिकर स्वरूप पाँच लाख रूपयें दिलाये जाने का जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर को नियमानुसार कार्यवाही करते हुए प्रतिकर प्रदाय किये जाने के लिए निर्देशित किया गया हैं ।

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