दुष्कर्म के आरोपी को सश्रम कारावास एवं अर्थदंड से किया गया दंडित, पॉक्सो एक्ट के तहत हुई कार्रवाही

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– गरियाबंद  फास्ट ट्रेक विशेष न्यायालय (पॉक्सो एवं बलात्कार मामले) के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर ने अवयस्क बालिका को शादी का प्रलोभन देकर बहला फुसलाकर भगा ले जाने और उसके साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी धरम नेताम (मांझी) पिता कुरूपति मांझी उम्र लगभग 20 वर्ष, निवासी दहीमाल, थाना-चांदहाण्डी, जिला-नवरंगपुर (उड़ीसा) को 20-20वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया हैं।

मामले के संबंध में शासन की ओर से पैरवी करते हुए विशेष लोक अभियोजक एच.एन. त्रिवेदी ने बताया कि पीड़िता की चाची ने थाना देवभोग में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी जेठानी की मृत्यु हो जाने के उपरांत उनकी लड़की का वह पालन पोषण कर रही हैं। जो 24 अक्टूबर 2023 की रात खाना खाकर सो रहे थे कि वह लघुशंका के लिए उठी तो देखी कि उसकी अवयस्क भतीजी / पीड़िता बिस्तर पर नहीं हैं तब आसपास, रिश्तेदारों में खोजबीन किये जाने के बाद भी पता नहीं चलने पर अज्ञात व्यक्ति के द्वारा उसकी अवयस्क भतीजी / पीड़िता को बहला फुसलाकर भगा ले जाने की सूचना पर पुलिस द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर पता तलाशी शुरू की गई। 

अवयस्क पीड़िता को उड़ीसा निवासी आरोपी धरम नेताम के कब्जे से बरामद कर आरोपी के विरूद्ध धारा धारा 363, 366, 376 (2) (ढ) भा.दं.वि. एवं धारा 04 (2) व 06 पॉक्सो एक्ट के तहत न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था। अभियोजन द्वारा अपने पक्ष समर्थन में कुल 10 साक्षियों का कथन कराया गया।

बीस वर्ष का सश्रम कारावास

फास्ट ट्रेक विशेष न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर द्वारा प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य एवं दस्तावेजों के अवलोकन व प्राप्त निष्कर्षों के अनुरूप अवयस्क पीड़िता को शादी का झांसा देकर उसके वैध संरक्षक की अनुमति के बिना भगा कर ले जाने व उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोपी धरम नेताम (मांझी) को दोषसिद्ध पाये जाने पर भा.दं.वि. की धारा 363 के तहत् दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये का अर्थदण्ड, धारा 366 के तहत् पांच वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये का अर्थदण्ड तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 04 (2) के तहत् 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रूपये अर्थदण्ड, धारा-06 के तहत् बीस वर्ष का सश्रम कारावास एवं पाँच हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया हैं।

न्यायाधीश द्वारा पारित निर्णय 25 मार्च 2025 में अवयस्क बालिका / पीड़िता के साथ हुई उक्त घटना से होने वाले शारीरिक व मानसिक पीड़ा तथा उसके जीवन व मनोदशा पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों पर विचार कर नाबालिग पीड़िता को प्रतिकर स्वरूप पाँच लाख रूपये दिलाये जाने का जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर को नियमानुसार कार्यवाही करते हुए प्रतिकर प्रदाय किये जाने के लिए निर्देशित किया गया हैं।

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