सड़कों, गलियों पर बेसहारा पशुओं का जमावड़ा, लोगों के लिए बन रहे परेशानी का सबब, उच्चाधिकारीयों के निर्देशों का नहीं हो रहा पालन

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– निराश्रित पशुओं की समस्या नवापारा और राजिम नगर में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गली-मोहल्ला, मुख्य सड़क, चौक-चौराहे पर इन निराश्रित पशुओं की धमाचौकड़ी से लोग परेशान है। नगरवासी और राहगीर इस समस्या से लगातार जूझ रहे हैं। इसके निराकरण की दिशा में नगर पालिका प्रशासन आँखे मूँद कर बैठा है। नगर पालिका के पास इसके लिये कोई कार्ययोजना तक नहीं है।
जबकि सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में उच्चाधिकारी घुमंतु मवेशियों के कारण सड़कों पर होने वाली दुघटनाओं को रोकने के लिए आवारा पशुओं को रोकने का नियमित अभियान चलाने के निर्देश बार बार देते रहते है। लेकिन इन निर्देशों का पालन किसी भी तरीके से नहीं किया जा रहा है।
दोनों नगर के मुख्य मार्ग NH130 C सहित इन निराश्रित पशुओं का जमावड़ा मुख्य बाजार, सब्जी मार्केट के पास देखा जा सकता है। बीच सड़क पर कूड़ा में चारा ढ़ूंढ़ते पशु जहां-तहां दिखते हैं। शहर के व्यस्तम मार्गों एवं चौक-चौराहों पर निराश्रित पशु आराम फरमाते रहते हैं। राहगीर जैसे-तैसे उनके आसपास से निकलते हैं। एक-दूसरे से उलझते पशुओं के पास से निकलना खतरे से खाली नहीं होता। खासकर पैदल, दो पहिया व चार पहिया वाहन चालकों को दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है।
सड़कों पर खुला छोड़ रहे पशु पालक
इस समस्या के सबसे प्रमुख कारण पशुपालक ही हैं। दूध नहीं देने वाली गाय तथा बछड़ों को लोग अपने घर से निकाल बाहर करते हैं। विवश होकर ये मवेशी सड़कों पर आश्रय तलाशते फिरते हैं। मुख्य व लिंक सड़क पर विचरण करते ये पशु किसी न किसी पशुपालक के ही होते हैं। लोग उनसे आर्थिक लाभ लेने के बाद उन्हें खुला छोड़ देते हैं। ऐसा उन पर आने वाले खर्च से बचने के लिए किया जाता है। समय के साथ-साथ इस तरह के पशुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
बनते हैं जाम और दुर्घटना का कारण
निराश्रित पशुओं के कारण सड़कों पर जाम और दुर्घटनाएं एक गंभीर समस्या है, जिससे लोगों को परेशानी होती है और जान-माल का खतरा भी बना रहता है। निराश्रित पशु, खासकर गायें, सांड अक्सर सड़कों पर झुंड में घूमती हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और दुर्घटनाएं होती हैं। ये पशु अचानक सड़कों पर आ जाते हैं, जिससे वाहन चालकों को बचने का समय नहीं मिलता और टक्कर हो जाती है। दुर्घटनाओं में न केवल वाहन चालकों को चोटें आती हैं, बल्कि निराश्रित पशु भी घायल हो जाते हैं या मर जाते हैं।
उच्चाधिकारी के निर्देशों की भी अवहेलना
सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में उच्चाधिकारी घुमंतु मवेशियों के कारण सड़कों पर होने वाली दुघटनाओं को रोकने के लिए आवारा पशुओं को रोकने का नियमित अभियान चलाने के निर्देश बार बार देते रहते है। साथ ही मवेशियों के गले पर रेडियम बेल्ट लगाने एवं सींग पर कलर कोडिंग अनिवार्यतः करने के निर्देश भी जारी किए जाते है। लेकिन इन निर्देशों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया जाता है।
सड़क से हटना क्यों जरूरी
सड़क पर घूमते निराश्रित पशु इंसानी जान को जोखिम में डालकर अक्सर सड़क दुर्घटनाओं को जन्म दे रहे हैं। निराश्रित पशुओं की वजह से किसी इंसान की मौत हो जाए कोई परिवार बिखर जाए तो उसका दुख क्या होता है, ये हम भी नहीं बता सकते। सरकारी तंत्र, सिस्टम, व्यवस्था, नियम, कायदे, कानून सब बताते हैं कि सब कुछ है लेकिन सड़क पर मवेशी क्यों है कोई नहीं बताता।
कांजी हाउस है बेहतर विकल्प
निराश्रित पशुओं को पकड़कर आश्रय स्थलों या कांजी हाउस में ले जाया जाना चाहिए। सड़कों पर निराश्रित पशुओं को आने से रोकने के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ ही वाहन चालकों को भी निराश्रित पशुओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए और आसपास मौजूद होने पर धीमी गति से गाड़ी चलानी चाहिए। जिससे अगर कोई घटना घटित भी हो तो नुकशान कम हो। निराश्रित पशुओं की समस्या को गंभीरता से लेना होगा और इसके समाधान के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
क्या कहते है अधिकारी
पालिका पहुंच कर नवापारा सीएमओ को सारी स्थिति बताते हुए पूछा कि यह मवेशी सड़क पर क्यों है? आपके पास इनको रखने की क्या व्यवस्था है? तो उन्होंने कहा कि किसान समिति ने सहयोग करने की बात कही है। गौपालकों से मवेशियों को रोड में नहीं छोड़ने संबंधी मुनादी करवाई जाएगी। इसके बाद भी वे अगर नहीं मानते है तो आगे कड़ी कार्रवाही की जाएगी।
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